Jindagi kuchh aur hi hoti book and story is written by Lajpat Rai Garg in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jindagi kuchh aur hi hoti is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. ज़िन्दगी कुछ और ही होती... Lajpat Rai Garg द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 12 1.7k Downloads 5.4k Views Writen by Lajpat Rai Garg Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ज़िन्दगी कुछ और ही होती... मध्य दिसम्बर की एक संध्या। सूर्य क्षितिज के पश्चिमी छोर पर बड़े से वृताकार में नीचे की ओर तेजी से जाता हुआ। शहर का मशहूर पार्क जहां शहर के हर भाग से लोग घूमने-फिरने के लिये आते हैं। पार्क में प्रौढ़ तथा बुजुर्ग बैंचों पर बैठे हैं या टहल रहे हैं। बच्चे खेल रहे हैं, मस्ती कर रहे हैं। एक बैंच पर एक पुरुष और एक स्त्री थोड़ी दूरी रखकर बैठे हुए हैं। उनके चेहरों से लगता है कि वे पति-पत्नी भी हो सकते हैं, जिनके बीच आपसी सौहार्द का स्थान क्षणिक मनमुटाव ने ले More Likes This मंजिले - भाग 12 द्वारा Neeraj Sharma रिश्तों की कहानी ( पार्ट -१) द्वारा Kaushik Dave बेजुबान - 1 द्वारा Kishanlal Sharma खामोशी का रहस्य - 1 द्वारा Kishanlal Sharma अकेलापन जिंदगी - 1 द्वारा Wow Mission successful सनम बेवफा - 3 द्वारा Kishanlal Sharma धोखा या इश्क - 1 द्वारा aruhi अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी