उजाले की ओर - 4 - अंतिम भाग Jaishree Roy द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Ujale ki aur द्वारा  Jaishree Roy in Hindi Novels
उजाले की ओर जयश्री रॉय (1) दोपहर का धूल भरा आकाश इस समय पीला दिख रहा है। सूरज एकदम माथे पर- एक फैलता-सिकुड़ता हुआ बड़ा-सा सफेद धब्बा! हवा अब रह-रह कर आं...

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