आज सुबह मंदिर के सामने एक उद्यान के शेड में कुछ लोग बैठकर ज्ञान के बारे में सोच रहे थे। तभी कुछ लोग उनसे पूछने आए कि ज्ञान क्या है? क्या बस तथ्यों को याद करना और किताबें रटना ही ज्ञान है? उन्होंने बताया कि वास्तव में ज्ञान असीमता को जानना है। शिक्षा के लिए संस्था, शास्त्र और गुरु की आवश्यकता होती है, लेकिन ज्ञान की यात्रा में इन्हें छोड़ना आवश्यक है। शास्त्र केवल विचारों को उलझा देता है और संस्था अनुशासन तय करती है, लेकिन जिज्ञासु व्यक्ति को इनसे परे जाना चाहिए। जब समझ विकसित हो जाती है, तब व्यक्ति को नई राहें खोजने का अवसर मिलता है। ज्ञान की यात्रा आध्यात्मिकता की ओर ले जाती है, और एक बार जब व्यक्ति आध्यात्मिकता को प्राप्त कर लेता है, तो शास्त्र और संस्था की आवश्यकता नहीं रहती। कबीर जैसे संत बिना किसी शास्त्र और संस्था के ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं, क्योंकि उनका विश्वास ज्ञान पर होता है। एक पूर्ण व्यक्ति समाज से विरक्त होता है, लेकिन लोक कल्याण के लिए वे अपने को नीचे लाते हैं। गुरु की पहचान भीतर की जिज्ञासा से होती है, और गुरु का ज्ञान ही व्यक्ति को सही दिशा में ले जाता है। श्री रामकृष्ण परमहंस का उदाहरण देते हुए बताया गया कि उन्होंने अपनी जिज्ञासा को गुरु बना लिया और शास्त्र को गौण कर दिया। स्वामी विवेकानंद जैसे शिष्य लोक कल्याण के लिए शास्त्र और संस्था का संचालन करते हैं, लेकिन उनके लिए गुरु का मिलना महत्वपूर्ण होता है। जब गुरु मिल जाता है, तो फिर शास्त्र और संस्था की आवश्यकता नहीं रहती। स्कूल,टीचर किताब से आगे Ajay Kumar Awasthi द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 5 1.6k Downloads 6.2k Views Writen by Ajay Kumar Awasthi Category आध्यात्मिक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण आज सुबह से चारों ओर कोहरा छाया हुआ था मंदिर के सामने फैले बड़े से उद्यान के एक शेड के नीचे वे शांत बैठे कुछ सोच रहे थे तभी एक दो लोग मंदिर की सीढ़ियों से उतर कर सीधे उनके पास चले आए और उनकी ओर जिज्ञासा से देखने लगे । एक सज्जन कहा ,,, महाराज ज्ञान आखिर है क्या ? क्या तथ्यों को दिमाग मे भर लेना ज्ञान है ? क्या किसी किताब को रट लेना ज्ञान है ? उनके सवालों को ध्यान से सुनकर उन्होंने बोलना शुरू किया । ....वस्तुतः ज्ञान असीमता को जान लेना है । संस्था,शास्त्र More Likes This शब्दों का बोझ - 2 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR स्वामी प्रभुपाद द्वारा Ankit अलौकिक दीपक - 1-2 द्वारा kajal Thakur भगवद गीता क्या है और इसे क्यों पढ़ना चाहिए - अध्याय 1 द्वारा parth Shukla एक औरत की ख़ामोश उड़ान - 1 द्वारा Mohini समरादित्य महाकथा - 1 द्वारा Kapil Jain श्री दुर्गा सप्तशती- आचार्य सदानंद – समीक्षा छन्द 1 द्वारा Ram Bharose Mishra अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी