यह कहानी "विद्रोहिणी" में जातिवाद की समस्याओं को उजागर किया गया है। श्यामा का परिवार लंबे समय से जाति से निष्कासित था और उनके परिवार का नाम फिर से जाति में जोड़ने के प्रयासों में बंसीलाल, जो जाति का अध्यक्ष और श्यामा का रिश्तेदार था, सबसे बड़ी रुकावट बनकर सामने आया। एक दिन श्यामा बंसीलाल के मंदिर गई और उससे अपने परिवार को जाति में शामिल करने की प्रार्थना की, लेकिन बंसीलाल ने उसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उनकी जाति उच्च वर्ण की है और वे पतित लोगों को स्वीकार नहीं करते। इस पर श्यामा ने बंसीलाल का असली चेहरा उजागर किया, उसे याद दिलाया कि वह खुद वर्षों तक जाति से निष्कासित रहा है और उसके अतीत के काले कारनामों का जिक्र किया। बंसीलाल इस सच को सुनकर चुप रह गया और श्यामा ने उसे चुनौती दी। बंसीलाल की खुद की कहानी भी दिलचस्प थी। वह एक मंदिर में पुजारी था और उसके विवाह के बाद उसकी पत्नी के परिवार में जाति का बहिष्कार हुआ, जिसके कारण वह भी जाति से निष्कासित हो गया। लेकिन इसके बावजूद वह बिना बुलाए जाति के समारोहों में जाता रहा और मेज़बान उसे वहां से जाने के लिए मिन्नतें करते थे। अंततः, बंसीलाल को बड़ी कोशिशों के बाद जाति में शामिल किया गया, लेकिन अब वह श्यामा के परिवार के जाति में शामिल होने का विरोध कर रहा था। यह कहानी जातिवाद के दुष्परिणामों और सामाजिक असमानताओं को दर्शाती है। विद्रोहिणी - 14 - अंतिम भाग Brijmohan sharma द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 10 2k Downloads 5.6k Views Writen by Brijmohan sharma Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण श्यामा का परिवार बड़े लंबे समय से जाति से निष्कासित था। मोहन ने अपने परिवार का नाम फिर से जाति में जुड़वाने के लिए अनेक प्रयत्न किए लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिली। बाद में उसे मालूम पड़ा कि इस कार्य में सबसे अधिक रूकावट बंसीलाल डाल रहा था जो जाति का अध्यक्ष था व श्यामा का दूर का रिश्तेदार था । वह ऐक मंदिर में पुजारी था। एक दिन श्यामा बंसीलाल के मंदिर में पहुंची। बंशीलाल लम्बे कद, गौर वर्ण व घनी दाढी मूंछ का व्यक्ति था । उस समय वह लोगों को धर्म का उपदेश दे रहा था । श्यामा ने कहा, ‘ बंसीलालजी हमारे परिवार का नाम जाति में जोड़ने की कृपा करें। ’ Novels विद्रोहिणी (ऐक अकेली अबला, बेसहारा, बेबस ऐवम गरीब महिला का पाखंउी, जातिवादि, घोर साम्प्रदायिक संकीर्णतावाद से ग्रस्त समाज से संघर्ष की रोमाचक दास्तान । गरीबों के... More Likes This घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari BTS ??? - 4 द्वारा Black डॉ. बी.आर. अंबेडकर जीवन परिचय - 1 द्वारा Miss Chhoti चाय के किस्से - 1 द्वारा Rohan Beniwal अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी