कहानी "बिराज बहू" में, बिराज एक दुखी और परेशान पत्नी है, जो अपने पति नीलाम्बर की अनुपस्थिति और उसके द्वारा वेश्या के मातहत काम करने की खबर से दुखी है। नीलाम्बर को एक प्रसिद्ध कीर्तन-मण्डली में तबला बजाने का काम मिला है, जिससे बिराज को शर्मिंदगी महसूस होती है। वह अपनी बीमारियों और पति की अनुपस्थिति के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो रही है। एक दिन, सावन की संक्रांति पर, जब वह ज्वर से पीड़ित है, वह अपने पति के लौटने की प्रतीक्षा करती है, लेकिन वह नहीं लौटता। उसकी चिंता और आशंका बढ़ जाती है, और वह बारिश में बाहर निकलकर विलाप करती है। तभी एक किसान का बेटा दरवाजे पर आता है और उसे बताता है कि नीलाम्बर ने गोपाल महाराज का दाह-संस्कार किया है। इस खबर से बिराज स्तम्भित रह जाती है और उसका मन भारी हो जाता है। कहानी बिराज की दर्द भरी स्थिति और उसकी मानसिक संघर्ष को दर्शाती है, जहाँ वह अपने जीवन की कठिनाइयों से जूझ रही है। बिराज बहू - 10 Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 22 5.5k Downloads 13.8k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मागरा के गंज का पीतल का इतना पुराना कारखाना एकाएक बन्द हो गया। चांडाल जाति की उसकी परिचित लड़की यह समाचार सुनाने कि लिए आई। सांचो की बिक्री बन्द हो जाने के कारण, उसे क्या-क्या नुकसान हुआ, उनका ब्यौरा वह सिलसिलेवार देने लगी। बिराज चुपचाप सुनती रही और गहरा सांस छोड़कर वह रह गई। वह लड़की हताश थी, क्योंकि उसके दुःख का हिस्सा बंटानेवाला कोई नहीं था। वह दुःखी होकर चल पड़ी। परंतु उसे क्या पता, बिराज की इस सांस में न जाने कितने दर्द के तूफान छुपे हुए थे। वह क्या जाने कि शान्त-निश्चल पृथ्वी के नीचे कितने ज्वालामुखी छुपे पड़े है। नीलाम्बर ने आकर बताया कि उसे काम मिल गया है। कलकत्ते की एक प्रसिद्ध कीर्तन-मण्डली में वह तबला बजाएगा। Novels बिराज बहू हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। नीलाम्बर मुर्दे जलाने, कीर्तन करने, ढोल बजाने और गांजे का दम भरने में बेजोड़ था। उस... More Likes This जिंदगी के रंग - 1 द्वारा Raman रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी