इस कहानी में एक संवाद के माध्यम से माता-पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते की जटिलताओं को दर्शाया गया है। कहानी की शुरुआत में एक महिला अपने दीदी से चर्चा कर रही है कि कैसे कुछ माता-पिता अपने बच्चों के दुराचार के खिलाफ खड़े होकर अलग रहने का निर्णय लेते हैं, जैसे पांडे जी ने किया। वे पुलिस की मदद लेकर अपने बच्चों को सुधारने में सफल होते हैं। महिला यह मानती है कि यह कदम उठाना आसान नहीं है, और वह खुद ऐसा नहीं कर पाएगी। फिर वह अपनी माँ से सुनी एक पुरानी कहानी का संदर्भ देती है, जिसमें एक बेटे ने अपनी माँ को नुकसान पहुँचाया। इस कहानी के माध्यम से वह यह बताती है कि कैसे भावनात्मक लगाव धीरे-धीरे खत्म हो गया है और आज के बच्चे अपने माता-पिता की अहमियत नहीं समझते। वर्तमान समय में माता-पिता की स्थिति पर चर्चा करते हुए, वे यह स्वीकार करते हैं कि अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों द्वारा अनादर और उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। अंत में, एक पात्र अपनी भावनाओं को साझा करती है कि कैसे वह अपने बेटे की कमी महसूस करती है और उसे अपने भाग्य पर निराशा होती है। इस कहानी में परिवार, संबंधों और भावनाओं की गहराई को उजागर किया गया है। दीवारें तो साथ हैं - 2 Pradeep Shrivastava द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 5 2.7k Downloads 7.1k Views Writen by Pradeep Shrivastava Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ‘नहीं दीदी सब इतना नहीं कर पाते। पांडे जी का घर देखिए न। उन्होंने तो जब बच्चों ने ज़्यादा परेशान किया, तो सब को अलग कर दिया। इसके बाद जब बेटों ने बैंक में जमा पैसों और पेंशन पर भी नज़र लगाई तो पहले तो विरोध किया। मगर जब बेटे झगड़े पर उतारू हुए, बहुओं ने आफ़त कर दी, जीना हराम कर दिया तो उन्होंने बिना देर किए पुलिस की मदद ली। यहां तक कह दिया कि मियाँ-बीवी को कुछ हुआ तो ज़िम्मेदार यही सब होंगे। Novels दीवारें तो साथ हैं पति को घर से गए कई घंटे हो गए थे। अब बीतता एक-एक क्षण मिसेज माथुर को अखरने लगा था। वैसे भी लंबे समय तक ऊहापोह की स्थिति में रहने के बाद बड़ी मुश्किल से... More Likes This जिंदगी के रंग - 1 द्वारा Raman रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी