"बिराज बहू" कहानी में नीलाम्बर और बिराज के बीच संवाद का चित्रण किया गया है। नीलाम्बर ने जब सुन्दरी के बारे में पूछा, तो बिराज ने बताया कि उसने उसे निकाल दिया है। नीलाम्बर इसे मजाक समझता है, लेकिन बिराज गंभीर है। वह यह बताती है कि सुन्दरी ने कुछ अपराध किया है, लेकिन वह विस्तार से नहीं बताती। बिराज का कहना है कि नीलाम्बर हमेशा अपनी मर्जी से ही काम करता है और उसकी भावनाओं की कद्र नहीं करता। वह नीलाम्बर को यह भी याद दिलाती है कि पुरुषों की ममता और स्वार्थ के बारे में उसे समय के साथ समझ आया है। रात के समय, बिराज पत्र लिख रही होती है और नीलाम्बर उसकी ओर देख रहा है। नीलाम्बर यह कहता है कि ईश्वर ने बिराज को विशेष बनाया है, लेकिन वह स्पष्ट नहीं करता कि 'परंतु' क्या है। बिराज इस पर प्रश्न करती है और नीलाम्बर यह बताता है कि भगवान सबको समाचार देते हैं। बिराज को नीलाम्बर की बातें पसंद नहीं आतीं और वह क्रोधित हो जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके रिश्ते में संवाद और समझ की कमी है। कहानी में बिराज की स्थिति और उसके अधिकारों के प्रति उसकी चेतना को दर्शाया गया है। बिराज बहू - 5 Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 32 9.2k Downloads 19.6k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण दो दिन बाद नीलाम्बर ने पूछा- “बिराज! सुन्दरी दिखाई नहीं पड़ रही है।” बिराज ने कहा- “मैंने उसे निकाल दिया।” नीलाम्बर ने उसे मजाक समझा, कहा- “अच्छा किया, मगर उसे हुआ क्या?” “सचमुच मैंने उसे निकाल दिया।” “मगर उसे हुआ क्या?” नीलाम्बर को अब भी यकीन नहीं आ रहा था। उसने समझा कि बिराज चिढ़ गई है, इसलिए चुपचाप चला गया। घण्टे-भर बाद आकर बोला- “उसे निकाल दिया, कोई बात नहीं, पर उसका काम कौन करेगा?” बिराज ने मुंह फेरकर कहा- “तुम।” “फिर लाओ, मैं जूठे बर्तन साफ कर दूं।” Novels बिराज बहू हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। नीलाम्बर मुर्दे जलाने, कीर्तन करने, ढोल बजाने और गांजे का दम भरने में बेजोड़ था। उस... More Likes This रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी