यहाँ तीन कविताओं का संक्षेप में सारांश प्रस्तुत किया गया है: (1) **प्रभु तू मेरे बस की बात नहीं हैं** यह कविता ध्यान और साधना की चुनौती को दर्शाती है। कवि प्रभु से कहता है कि वह ध्यान में स्थिरता और गहराई नहीं पा सकता। उसके मन की चंचलता और स्वप्नों की दुनिया उसे ध्यान में स्थिर रहने से रोकती है। कवि अपनी सीमाओं को स्वीकार करता है और कहता है कि प्रभु की प्राप्ति उसके बस की बात नहीं है। (2) **जग में डग का डगमग होना, जग से है अवकाश नहीं** इस कविता में जीवन के संघर्षों और अनुभवों को चित्रित किया गया है। कवि बताता है कि जीवन में अस्थिरता और चुनौतियाँ हमेशा बनी रहती हैं। अंधेरे और कठिनाइयों के बीच आशा की किरण भी है। कवि यह विचार व्यक्त करता है कि जीवन में प्रयास करते रहना आवश्यक है, और मृत्यु केवल शारीरिक विनाश नहीं है, बल्कि अच्छे कर्मों का प्रभाव जीवन में बना रहता है। (3) **मैंने भी देखा एक कुत्ता** यह कविता एक कुत्ते के व्यवहार का मजेदार चित्रण करती है। कवि कुत्ते को एक असामान्य और चंचल व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करता है, जो बेवजह भौंकता है और अपने आप में मस्त रहता है। कुत्ते की सनक और अजीब हरकतें हास्यप्रद तरीके से दर्शाई गई हैं, जिससे जीवन की निराशा के बीच हास्य का एक तत्व जुड़ता है। इन तीनों कविताओं में अंतर्दृष्टि, संघर्ष और हास्य का अद्भुत मेल है। प्रभु तू मेरे बस की बात नहीं है Ajay Amitabh Suman द्वारा हिंदी कविता 559 1.7k Downloads 7.5k Views Writen by Ajay Amitabh Suman Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मैं यहाँ पे तीन कविताओं को प्रस्तुत कर रहा हूँ (1) प्रभु तू मेरे बस की बात नहीं हैं (2) जग में डग का डगमग होना ,जग से है अवकाश नहीं और (3) मैंने भी देखा एक कुत्ता. (1) प्रभु तू मेरे बस की बात नहीं हैं प्रातः काल उठ उठ कर नित दिन,धरूँ ध्यान स्वांसों पर प्रति दिन,अटल रहूँ अभ्यास करूँ मैं,प्रभु ,इतनी औकात नहीं है,तू मेरे बस की बात नहीं है। ध्यान उतर कर जब आता है,किसक्षण मन ये खो जाता है,होश ध्यान में पकड़ूँ कैसे?प्रभु ,इतनी औकात नहीं है,तू मेरे बस की बात नहीं है। More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी