कहानी "बड़ी दीदी" में सुरेन्द्र नाथ और उनकी पत्नी शांति के बीच की बातचीत और संबंधों को दर्शाया गया है। कार्तिक महीने की समाप्ति पर सुरेन्द्र एक ऊपरी कमरे में बैठकर कागजात का काम कर रहे हैं। शांति, जो सुरेन्द्र की सेहत का पूरा ध्यान रख रही है, उन्हें घर से बाहर जाने से रोकती है। सुरेन्द्र मथुरा बाबू से कुछ महत्वपूर्ण बातें करना चाहते हैं, जिसमें उन्हें बताना है कि अगहन महीने से उन्हें काम करने की जरूरत नहीं है। सुरेन्द्र ने एक विधवा का घर नीलाम करने के बारे में बताया, जिससे शांति दुखी हो जाती है। वह यह जानना चाहती हैं कि ऐसे में मथुरा बाबू का क्या दोष है। सुरेन्द्र की गंभीरता से वह समझ जाती है कि यह मामला गंभीर है और एक असहाय विधवा को घर से निकालना सही नहीं है। सुरेन्द्र यह स्पष्ट करते हैं कि उनके पैसे शांति के भी हैं और वह यह सवाल उठाते हैं कि जब वह नहीं रहेंगे, तो शांति क्या करेंगी। यह संवाद उनके बीच के संबंधों की गहराई और शांति के प्रति सुरेन्द्र के विचारों को दर्शाता है। कहानी में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और दान की भावना का जिक्र किया गया है। बड़ी दीदी - 8 - अंतिम भाग Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 68 6.1k Downloads 13.8k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण कार्तिक के महीना समाप्ति पर है। थोड़ी-थोड़ी सर्दी पड़ने लगी है। सुरेन्द्र नाथ के ऊपर बाले कमरे में खिड़की के रास्ते प्रातःकाल के सूर्य का जो प्रकाश बिखर रहा है, सुरेन्द्र दिखाई दे रहा है। खिड़की के पास ही ढेर सारे बही-खाते और कागज-पत्र लेकर टेबल पर एक ओर सुरेन्द्र नाथ बैठे हैं। अदायगी-वसूली, बाकी-बकाया, जमा खर्चे-बन्दोबस्त, मामले-मुकदमे, फाइल आदि सब एक-एक करके उलटते और देखते थे। इन सब बातों को देखना-सुनना उसके लिए एक तरह से आवश्यक भी हो गया है। न होने से समय भी नहीं कटता है। Novels बड़ी दीदी इस धरती पर एक विशिष्ट प्रकार के लोग भी वसते है। यह फूस की आग की तरह होते हैं। वह झट से जल उठते हैं और फिर चटपट बुझ जाते हैं। व्यक्तियों के पीठे हर समय... More Likes This रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी