यह कहानी परमेश्वरी की है, जो विवाह के एक दिन पहले अपने घर के हरसिंगार के पेड़ के नीचे खड़ी होती है। उसे विदाई का गहरा दुख महसूस होता है, क्योंकि वह अपने बचपन के सुनहरे पलों को छोड़ रही है। उसकी दादी उसे एक हरसिंगार का पौधा देती हैं, जो उसे मायके की याद दिलाता है। परमेश्वरी भले ही बहुत सुंदर नहीं है, लेकिन उसकी मुस्कान में हरसिंगार के फूलों की खुशबू है। वह एक बड़े जमींदार की पत्नी बनने जा रही है, लेकिन यह तीसरी शादी है, क्योंकि उसकी पूर्व पत्नियाँ गुजर चुकी हैं। उस समय विवाह में लड़कियों की इच्छा का कोई महत्व नहीं था। परमेश्वरी विरोध करने वाली और आत्मविश्वासी होते हुए भी अपने बाबा के निर्णय के खिलाफ नहीं जा पाई। विवाह समारोह में अन्य महिलाओं की बातें उसे चुभती हैं, और वह खुद को असुरक्षित महसूस करती है। उसके पति उसे समझाते हैं कि उसकी माँ ने परिवार की जमींदारी को बचाने में बहुत मेहनत की है, इसलिए उसे माँ की बातों का सम्मान करना चाहिए। कहानी में परमेश्वरी के संघर्ष और उसके नए जीवन में ढलने की प्रक्रिया को बयां किया गया है। जड़ें Upasna Siag द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 6 2.1k Downloads 9k Views Writen by Upasna Siag Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण परमेश्वरी विवाह के एक दिन पहले की रात को अपने बाबा के पिछवाड़े के आँगन में लगे हरसिंगार के पेड़ के नीचे खड़ी थी। मानों उसकी खुशबू एक साथ ही अपने अन्दर समाहित कर लेना चाहती थी। रह -रह कर मन भारी हुआ जा रहा था। बाबुल का आंगन, माँ का आंचल और सखियों के साथ के साथ ही इस हरसिंगार के पेड़ की सखा -भाव, छाँवमय खुशबू भी तो छूट जाएगी। कदम ही नहीं उठ रहे थे लेकिन जाना तो था ! एक हसरत भरी नज़र डाल चल पड़ी। जिस पेड़ को उसने अपने हाथों से लगाया था। जिसे अपने सखा जैसा समझ कर बतियाती थी। आज परमेश्वरी भी किसी दूसरे आंगन में अपनी जड़ें ढूंढने-पसारने चल पड़ी थी। विदाई की करुण बेला में जब उसकी दादी ने उसे एक छोटे से गमले में हरसिंगार का पौधा पकड़ाया तो उसे लगा जैसे कोई तो उसके मायके से उसके साथ है। More Likes This रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी