कहानी "यादें" प्रियंका गुप्ता द्वारा लिखी गई है, जिसमें यादों की जटिलता और उनकी भावनात्मक प्रभावों का चित्रण किया गया है। यादें कभी खुशी और संबल देती हैं, तो कभी दुःख और निराशा का कारण बनती हैं। लेखक ने यादों को एक जंगली क्षेत्र और एक रेतीले समुद्र जैसे रूपकों के माध्यम से व्यक्त किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यादों में खो जाना कितना मुश्किल हो सकता है। कहानी में एक व्यक्ति का जिक्र है, जिसके साथ लेखक के कई यादगार पल जुड़े हैं। लेखक अपनी यादों में उस व्यक्ति के साथ बिताए गए समय को याद करती हैं, खासकर उन क्षणों को जब वह उसे तंग करती थीं और वह चिढ़ जाता था। यह चिढ़ना और प्यार भरी बातें उनकी यादों का हिस्सा बन जाती हैं। लेखक सोचती हैं कि भले ही वह व्यक्ति अब उनके साथ नहीं है, लेकिन उनकी यादें हमेशा उनके दिल में बसी रहेंगी। वह भाग्य की बात करती हैं और विचार करती हैं कि क्या उनकी मुलाकात और अलगाव भी भाग्य का खेल था। अंत में, लेखक यह स्वीकार करती हैं कि उनकी यादों में बहुत कुछ उनके द्वारा किया गया था, और वह इन यादों को संजोए रखना चाहती हैं। यादें - 1 प्रियंका गुप्ता द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 2 2.9k Downloads 11k Views Writen by प्रियंका गुप्ता Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण यादें...यादें...और यादें...। कितनी अजीब होती हैं न यादें...? कभी ब्लैक एण्ड व्हाइट, तो कभी सतरंगे इंद्रधनुष-सी रंग-बिरंगी...। वही यादें जो कभी तो जीने का संबल बन जाती हैं तो कभी वही यादें सारे मनोबल तोड़ भी देती हैं...। कभी हँसाती, कभी रुलाती, कभी सखी-सहेली सी सहलाती-गुदगुदाती, तो कभी बिल्कुल ही वर्स्ट एनिमी की तरह घाव पे घाव दे जाती यादें...। यादों का जंगल बड़ा निर्मोही होता है...। एक बार भटक जाओ इसके अंदर तो फिर निकलना...लगभग नामुमकिन...। या फिर एक रेतीले समुद्र सी यादें...हर कदम पर आधे शरीर तक धँस जाओ और फिर निकलने की जद्दोजहद में और धँसते चले जाओ...। Novels यादें यादें...यादें...और यादें...। कितनी अजीब होती हैं न यादें...? कभी ब्लैक एण्ड व्हाइट, तो कभी सतरंगे इंद्रधनुष-सी रंग-बिरंगी...। वही यादें जो कभी तो जीने... More Likes This रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी