इस कहानी में एक छोटा बच्चा अर्जून अपनी माँ ग्रीष्मा के पीछे छुपा रहता है क्योंकि उसने स्कूल से किसी का पेन्सिल बॉक्स चुरा लिया है। ग्रीष्मा और रवि, अर्जून के पिता, उसे उसके कार्य के लिए समझाते हैं। रवि उसे सजा नहीं देते, लेकिन उसे अपनी गलती का एहसास कराते हैं। रास्ते में, अर्जून एक भिखारी को सिक्का देता है और यह समझाता है कि वह गरीब है। रवि उसे बताता है कि उसकी चोरी गलत है और उसे पेन्सिल बॉक्स वापस करना चाहिए। कुछ दिन बाद, रवि अर्जून को पुलिस स्टेशन ले जाते हैं, जहाँ वह एक आदमी को देखता है जो अपने बेटे को छुड़ाने के लिए रवि से विनती कर रहा है। घर लौटते समय, अर्जून रवि से सवाल करता है कि क्या वह भी भिखारी हैं, जिससे यह पता चलता है कि बच्चे ने स्थिति को समझा है। कहानी का नैतिक यह है कि बच्चों को उनके कार्यों के परिणामों के बारे में समझाना महत्वपूर्ण है।
कहो नहि करो
Dietitian Snehal Malaviya
द्वारा
हिंदी बाल कथाएँ
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विवरण
“रवि, देखो तुम्हारे लाडले ने क्या किया है” वो छोटा सा बच्चा अपनी माँ के पीछे छुप रहा था और एक आँख से अपने पापा को देख रहा था।“मेरे पीछे क्यु छुप रहे हो? जाओ, और अपने पापा को बताओ की तुमने क्या किया है” ग्रीष्मा ने बोला।“अरे ग्रीष्मा, छोटे से बच्चे पर इतना गुस्सा क्यू कर रही हो?” रवि ने बच्चे को अपनी ओर बुलाते हुए कहा।बच्चे ने उसकी ओर जाने से मना किया और अपनी माँ के पीछे छुपता रहा।“अर्जून, पापा तुम्हे बुला रहे है, जाओ और पापा को बताओ की तुमने क्या किया है” फिर भी बच्चा बाहर
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