गोस्वामी जी हनुमान चालीसा में हनुमान जी को शंकर सुवन, केसरी नंदन, अंजनी के पुत्र और पवन सुत के रूप में वर्णित करते हैं। हनुमान जी की शक्ति अतुलनीय है। वर्तमान समय में हनुमान जी पर लिखना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है, लेकिन उनकी रहस्यमयी लीला को समझने के लिए यह आवश्यक है, खासकर उन लोगों के लिए जो तर्क पर आधारित हैं। कथा सुनते और पढ़ते समय तर्क उठाना स्वाभाविक है, विशेषकर जब हम आधुनिक विज्ञान और तकनीक के युग में हैं। एक व्यक्ति ने हनुमान जी के मच्छर के आकार में जाने पर श्री राम जी की मुद्रिका के बारे में सवाल उठाया। इस पर हनुमान जी की शक्ति पर विचार करना आवश्यक है, क्योंकि वे अपनी योगिक शक्ति से आकार बदल सकते हैं और हवा में तैर सकते हैं। हनुमान जी का आकार बदलने की क्षमता उन्हें किसी वस्तु का आकाश तत्व निकालने में मदद करती है, जिससे वह छोटे या बड़े हो सकते हैं। लंका के प्रवेश द्वार पर उन्होंने अपने आकार के अनुसार मुद्रिका को भी समायोजित किया। अशोक वाटिका में सीता जी को विश्वास दिलाने के लिए उन्होंने विशाल रूप धारण किया। रावण द्वारा उनकी पूंछ पर आग लगने पर, हनुमान जी ने हवा में उठकर लंका को जला दिया, जिससे उनकी देह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इस प्रकार, हनुमान जी की शक्तियों का वर्णन उनकी अद्भुत लीला को दर्शाता है। हनुमान जी महाराज Ajay Kumar Awasthi द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 41 2.8k Downloads 15.8k Views Writen by Ajay Kumar Awasthi Category आध्यात्मिक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण गोस्वामी जी हनुमान चालीसा में लिखते हैं कि हनुमान जी महाराज शंकर सुवन हैं; केसरी नंदन हैं; अंजनी के पुत्र हैं ;और पवन सुत हैं, जिन्हें इन सभी नामों से पुकारा जाता है । वे अतुलित बल के धाम है अर्थात उनकी शक्ति का आकलन नही किया जा सकता । देखा जाय तो आज के समय मे हम जैसों का हनुमान जी महाराज के बारे में लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। पर कथाओं के अध्ययन से जितनी समझ विकसित हो उतना तो कहना ही चाहिये,ताकि उनकी रहस्यमयी लीला को उन More Likes This शब्दों का बोझ - 2 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR स्वामी प्रभुपाद द्वारा Ankit अलौकिक दीपक - 1-2 द्वारा kajal Thakur भगवद गीता क्या है और इसे क्यों पढ़ना चाहिए - अध्याय 1 द्वारा parth Shukla एक औरत की ख़ामोश उड़ान - 1 द्वारा Mohini समरादित्य महाकथा - 1 द्वारा Kapil Jain श्री दुर्गा सप्तशती- आचार्य सदानंद – समीक्षा छन्द 1 द्वारा Ram Bharose Mishra अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी