यह कहानी एक स्कूल में एडमिशन की समस्या के इर्द-गिर्द घूमती है। मिसेज कौशिक, जो कि एक वरिष्ठ शिक्षिका हैं, प्रिंसिपल से कहती हैं कि वह एक बच्चे का एडमिशन अपनी क्लास में नहीं कर सकतीं, क्योंकि बच्चा एक साल से स्कूल नहीं आया है और तिमाही परीक्षा भी हो चुकी है। प्रिंसिपल उन्हें समझाने की कोशिश करती हैं, लेकिन मिसेज कौशिक अपने विचार पर अड़ी रहती हैं और कहती हैं कि वह ऐसे बच्चे को नहीं लेना चाहतीं, जिससे उनकी क्लास का रिजल्ट खराब हो सकता है। इस बीच, एक पिता अपनी बेटी के एडमिशन के लिए प्रिंसिपल से मिलते हैं। उनकी बेटी पढ़ाई में होशियार है, लेकिन उसके छोटे भाई की मृत्यु के कारण उसकी पढ़ाई छूट गई थी। प्रिंसिपल उसे अगले सत्र में आने के लिए कहती हैं, लेकिन पिता गिड़गिड़ाते हैं कि उनकी बेटी का साल खराब हो जाएगा। फिर मिसेज शुक्ला, जो एक अन्य शिक्षिका हैं, उस बच्ची को अपने पास बुलाकर उससे पूछती हैं कि क्या वह पढ़ाई करना चाहती है। बच्ची हां में सिर हिलाती है और मिसेज शुक्ला उसे अगले दिन सारे कागजात लाने के लिए कहती हैं, जिससे उसका एडमिशन हो सके। मिसेज शुक्ला बताती हैं कि उन्होंने भी एक कठिनाई का सामना किया था और अगर उनकी प्राइमरी टीचर ने उन्हें मदद न की होती, तो वह आज इस स्थान पर नहीं होतीं। वह इस बच्ची की मदद कर के अपनी टीचर को श्रद्धांजलि देती हैं। कहानी भावनात्मक रूप से यह संदेश देती है कि शिक्षकों का बच्चों के भविष्य में बड़ा योगदान होता है। छोटी सी कोशिश Saroj Prajapati द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 12 3.3k Downloads 17.5k Views Writen by Saroj Prajapati Category प्रेरक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मैडम, मैं इस बच्चे का एडमिशन अपनी क्लास में नहीं कर सकती । तिमाही परीक्षा भी हो चुकी है । चौथी कक्षा में पिछला सिलेबस कवर करवाना कितना मुश्किल होता है समझ सकती हैं आप और इसे तो स्कूल छोड़े भी साल भर हो गया है।" मिसेज कौशिक ने प्रिंसिपल मैडम के सामने अपनी बात रखी ।" देख लो मैडम एडजस्ट हो सके तो वैसे भी आपके सेक्शन में बच्चे कम ही हैं ।" प्रिंसिपल ने उन्हें समझाना चाहा । उनकी बात सुन मिसेज कौशिक कुछ नाराज होते हुए बोली " मैडम बच्चे कम है तो क्या ऐसे बच्चे का More Likes This नारद भक्ति सूत्र - 13. कर्म फल का त्याग द्वारा Radhey Shreemali कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक - 3 - (अंतिम भाग) द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR काफला यूँ ही चलता रहा - 1 द्वारा Neeraj Sharma डॉ. बी.आर. अंबेडकर जीवन परिचय - 2 द्वारा Miss Chhoti हर कदम एक नई जंग है - 1 द्वारा Sumit Sharma दया का महत्व द्वारा DINESH KUMAR KEER इंतेक़ाम - भाग 1 द्वारा Mamta Meena अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी