(१) इस कविता में भारत की स्थिति का विश्लेषण किया गया है, जहां एक ओर देश की उपलब्धियों और प्रगति का जिक्र है, जैसे खेलों में सफलताएँ, शिक्षा में सुधार और तकनीकी सुविधाएँ। वहीं, दूसरी ओर गरीबी, भूख, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों की समस्याएँ भी उजागर की गई हैं। कवि यह सवाल उठाता है कि क्या वास्तव में हमारा देश बेहतर है, जबकि कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। (२) इस कविता में भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान की कमी पर चर्चा की गई है। कवि यह सवाल उठाता है कि जब भक्ति का भाव नहीं है, तो ईश्वर का अनुभव कैसे किया जा सकता है। भौतिकता में उलझे रहने से सूक्ष्म जगत का ज्ञान कैसे प्राप्त होगा? कवि यह बताता है कि जब तक मानव अपनी आत्मा की आवाज़ सुनने में सक्षम नहीं होगा, तब तक वह सच्चे ज्ञान और बोध को नहीं पा सकेगा। (३) इस कविता में कवि खुदा और उसके प्रति मनुष्य की गलतफहमियों पर ध्यान केंद्रित करता है। वह कहता है कि खुदा की कठिनाइयों को मानते हुए, मनुष्य खुद की गलतियों को नहीं पहचानता। अगर किसी को खुदा से सच्चा प्यार है, तो उसे शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं है। कवि यह समझाता है कि खुदा सृष्टि का कर्ता है और उसकी पहचान करना कठिन है, क्योंकि मानव का ज्ञान सीमित है। कैसे कहूँ है बेहतर, हिन्दुस्तां हमारा? Ajay Amitabh Suman द्वारा हिंदी कविता 573 1.8k Downloads 6k Views Writen by Ajay Amitabh Suman Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण (१) कैसे कहूँ है बेहतर ,हिन्दुस्तां हमारा? कह रहे हो तुम ये , मैं भी करूँ ईशारा,सारे जहां से अच्छा , हिन्दुस्तां हमारा। ये ठीक भी बहुत है, एथलिट सारे जागे ,क्रिकेट में जीतते हैं, हर गेम में है आगे। अंतरिक्ष में उपग्रह प्रति मान फल रहें है,अरिदल पे नित दिन हीं वाण चल रहें हैं, विद्यालयों में बच्चे मिड मील भी पा रहें है,साइकिल भी मिलती है सब गुनगुना रहे हैं। हाँ ठीक कह रहे हो, कि फौजें हमारी,बेशक जीतती हैं, हैं दुश्मनों पे भारी। अब नेट मिल रहा है,बड़ा सस्ता बाजार में,फ्री है वाई-फाई , फ्री-सिम भी व्यवहार में। पर होने से नेट भी गरीबी मिटती कहीं?बीमारों से समाने More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी