कहानी "नया सवेरा" में 15 अगस्त 1997 को भारत के स्वतंत्रता दिवस का 50वां समारोह मनाया जा रहा है। कस्बे में उत्साह और उल्लास का माहौल है, लेकिन कुछ लोगों के दिलों में उदासी भी है। अभिमन्यु बाबू, जो पहले एक शिक्षक थे, अपने पुराने स्कूल में झंडा रोहण के लिए जाते हैं। वहाँ सभी शिक्षक और छात्र उत्साहित हैं, और कार्यक्रम में जिलाधीश भी शामिल होते हैं। अभिमन्यु बाबू झंडा फहराते हैं, राष्ट्रगान गाते हैं और पुरस्कार बांटते हैं। एक विकलांग व्यक्ति और एक सैनिक की विधवा को पुरस्कार प्राप्त करते देख सबकी आँखें नम हो जाती हैं। अपने उद्बोधन में, अभिमन्यु बाबू ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करते हुए सभी को एकता और देशभक्ति का संदेश देते हैं। वे राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सांस्कृतिक समरसता के महत्व पर जोर देते हैं और सभी को "भारत माता की जय" का नारा लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद, अभिमन्यु बाबू और उनके साथी अपने बंगले लौट जाते हैं। नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 9 Yashvant Kothari द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 2 2.9k Downloads 11k Views Writen by Yashvant Kothari Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण पन्द्रह अगस्त उन्नीसौ सत्ताणवें आजादी का पचासवां स्वतन्त्रता दिवस का पावन पर्व। आज पूरे कस्बे में अपूर्व उत्साह, उल्लास और उमंग थी। सर्वत्र खुशी, अमग, चैन लेकिन कहीं कहीं लोगों के दिलों में कसक भी थी। अभिमन्यु बाबू अपने उसी स्कूल में झण्डा रोहण करने गये जहां पर वे कभी एक अध्यापक के रूप में कार्यरत थे। सभी अध्यापक बड़े प्रसन्न थे कि जिलाधीश महोदय ने उनके कार्यक्रम में आने की स्वीकृती प्रदान की थी। स्कूल के वातावरण में उत्साह था। छात्र प्रसन्न थे और अध्यापकों ने जी-जान लगाकर मेहनत की थी। राष्ट्र भक्ति के गीत बज रहे थे। पाण्डाल सजा था। शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे। Novels नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) खट। खट।। ’’कौन ? ‘‘ ’’जी। पोस्टमैन। बाबू जी आपकी रजिस्टी है। आकर ले लें। ‘‘अभिमन्यु घर से बाहर आया। दस्तखत किये। लिफाफा लिया। खोला। पढ़ा। और खुशी से... More Likes This नींद में चलती कहानी... - 1 द्वारा Babul haq ansari शब्दों का सच्चा सौदागर - 1 द्वारा Chanchal Tapsyam Taaj Ya Taqdeer ? - 1 द्वारा dhun गड़बड़ - चैप्टर 2 द्वारा Maya Hanchate इश्क़ बेनाम - 1 द्वारा अशोक असफल शोहरत की कीमत - 1 द्वारा बैरागी दिलीप दास रंग है रवाभाई ! द्वारा Chaudhary Viral अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी