गौतमी और रामकुमार ट्रेन में सफर कर रहे हैं और दोनों घबराते हुए टीसी का इंतज़ार कर रहे हैं। ट्रेन के पहियों की आवाज़ के साथ-साथ गौतमी के दिल की धड़कनें तेज हो रही हैं। गौतमी बार-बार रामकुमार की बांह पकड़ती है, जबकि रामकुमार अपनी घबराहट छुपाते हुए उसे दिलासा देते हैं। ट्रेन के स्टेशन से निकलने के बाद, गौतमी एक-एक मिनट को घंटों की तरह महसूस कर रही है। वह सोचती है कि शायद टीसी स्लीपर क्लास में देर से आएगा। रामकुमार अपनी पत्नी की चिंता के कारण और भी परेशान हैं, लेकिन वे अपनी घबराहट को गौतमी से साझा नहीं कर सकते। दोनों खुद को कोस रहे हैं कि उन्होंने इस सफर में गलती की। रामकुमार ने कभी गलत काम नहीं किया, लेकिन इस बार मजबूरी में उन्होंने गौतमी के प्रस्ताव को मान लिया। अब ट्रेन चल पड़ी है और अगला स्टॉप एक घंटे पंद्रह मिनट बाद है, इस कारण वे चिंतित हैं कि टीसी आएगा या नहीं। गौतमी भी खुद को कोस रही है और सोच रही है कि अगर उसने प्रस्ताव नहीं रखा होता, तो ये स्थिति नहीं बनती। वह अपनी चिंता को दूर करने के लिए पैर बदल-बदल कर बैठ रही है और मन में सोचती है कि वह ट्रेन के दरवाजे तक टहलने जाए। दोनों के मन में चिंता है कि टीसी का क्या होगा और वे इस स्थिति से कैसे निपटेंगे। जब हम मुसलमान थे....! vandana A dubey द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 11 2.3k Downloads 6.9k Views Writen by vandana A dubey Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण टटक-डिडक...टटक-डिडक....टटक-डिडक......ट्रेन के पहियों की इन आवाज़ों के साथ-साथ गौतमी के दिल की धड़कनें भी बढ़ती जा रहीं थीं. बगल में बैठे उसके पतिदेव रामकुमार की भी लगभग यही हालत थी. गौतमी घबराहट के मारे बार-बार राम कुमार की बांह पकड़ लेती थी. और हर बार मन ही मन बेचैन राम कुमार, अपनी बांह पर कसी उसकी हथेली को थपथपा के दिलासा सी देते. मजबूरी ऐसी कि अपनी घबराहट को बोल के भी व्यक्त नहीं कर सकते थे दोनों. . ट्रेन को स्टेशन से छूटे अभी दस मिनट ही हुए होंगे. गौतमी बेसब्री से टीसी का इंतज़ार कर रही थी. एक-एक More Likes This चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari BTS ??? - 4 द्वारा Black डॉ. बी.आर. अंबेडकर जीवन परिचय - 1 द्वारा Miss Chhoti चाय के किस्से - 1 द्वारा Rohan Beniwal एक रात - एक पहेली - पार्ट 1 द्वारा Kaushik Dave कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 3 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी