सचिन शुक्ला, जो आई आई टी मुंबई से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर चुके हैं, वर्तमान में जबलपुर में डिप्टी जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि जब वे आई आई टी में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनके अधिकांश मित्र अमेरिका में उच्च अध्ययन के लिए जाने के इच्छुक थे। अमेरिका के विश्वविद्यालय भारतीय छात्रों को पसंद करते हैं, जिससे उनके सहपाठियों को छात्रवृत्ति मिली और वे खुश थे। सचिन को भी अमेरिका जाने की सलाह दी गई, यह कहते हुए कि भारत में योग्यता का सही मूल्यांकन नहीं होता और ईमानदार लोगों को तरक्की में कठिनाई होती है। हालांकि, अमेरिका जाने के लिए तैयारी करते समय उन्होंने सोचा कि क्या अपने देश में ईमानदारी से काम करना संभव नहीं है। भारतीय रेलवे में उच्च पद पर कार्य करने का अवसर मिलने पर, उन्होंने देश में रहने का निर्णय लिया। उन्हें याद आया कि "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" का श्लोक, जिसने उन्हें अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। सचिन का संदेश है कि युवाओं को केवल आर्थिक कारणों से विदेश जाने का निर्णय नहीं लेना चाहिए, बल्कि अपने देश में सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए संकल्पित रहना चाहिए। प्रतिभा पलायन Rajesh Maheshwari द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 3 2.8k Downloads 14k Views Writen by Rajesh Maheshwari Category प्रेरक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण प्रतिभा पलायन भारतीय रेल्वे में अपनी उत्कृष्ट व कर्तव्यनिष्ठ सेवा प्रदान करने हेतु डायेरक्टर जनरल के स्तर पर गोडल मैडल, जनरल मैनेजर अवार्ड आदि से सम्मानित आई आई टी मुंबई से उत्कृष्ट अंको से उत्तीर्ण सचिन शुक्ला वर्तमान में जबलपुर में डिप्टी जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत है। उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि वे जब आई आई टी मुंबई में इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में पढ रहे थे तब उनके अधिकतर मित्र व सहपाठी अमेरिका के विश्वविद्यालयों में उच्च अध्ययन हेतु जाने के लिये लालायित थे। अमेरिका के विश्वविद्यालय भी भारत के अच्छे अंक प्राप्त More Likes This जादुई मुंदरी - 1 द्वारा Darkness दस महाविद्या साधना - 1 द्वारा Darkness श्री गुरु नानक देव जी - 1 द्वारा Singh Pams शब्दों का बोझ - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR नारद भक्ति सूत्र - 13. कर्म फल का त्याग द्वारा Radhey Shreemali कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक - 3 - (अंतिम भाग) द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR काफला यूँ ही चलता रहा - 1 द्वारा Neeraj Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी