कहानी "शकबू की गुस्ताखियां" में लेखक प्रदीप श्रीवास्तव ने शकबू और शाहीन के बीच के संबंधों का वर्णन किया है। शाहीन ने शकबू के दुख को अपनी सेवा और प्यार से समाप्त कर दिया, जिससे शकबू ने अपनी पत्नी शाजिया को जल्दी ही भुला दिया। लेखक को लगता है कि यदि शकबू ने उनकी सलाह मानी होती, तो शाजिया जीवित होती। लेखक और शकबू की दोस्ती बचपन से है, जहाँ दोनों ने पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा की। उनकी शरारतें और राजनीति में रुचि थी, लेकिन समय के साथ उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई। शकबू भारतीय राजनीति और समाज की स्थिति पर विचार करता है, और शास्त्री जी के विचारों से प्रभावित होकर आत्मनिर्भरता की बात करता है। हालांकि, दोनों का जोश धीरे-धीरे कम होता गया, और वे अपनी पढ़ाई में पिछड़ गए। यह कहानी दोस्ती, प्यार, और सामाजिक मुद्दों पर विचारों की गहराई को दर्शाती है।
शकबू की गुस्ताखियां - 2
Pradeep Shrivastava
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
Four Stars
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विवरण
शकबू के गम को शाहीन ने कुछ ही दिनों में अपनी सेवा, हुस्न, प्यार से खत्म सा कर दिया। इसका अंदाजा मुझे शकबू के आने वाले फ़ोन से होता। वह शाजिया की बात तो कहने भर को करता और शाहीन के गुणगान से थकता ही नहीं। मैं मन ही मन कहता वाह रे हुस्न, आंखों पर पल में कैसे पर्दा डाल देता है। शाजिया जो पचास साल साथ रही उसको भुलाने में पचास दिन भी नहीं लगे।
सुबह पढ़ने के लिए पेपर उठाया तो नज़र शहर में एक नए फाइव स्टार होटल के खुलने के विज्ञापन पर ठहर गई। पेपर के पहले पूरे पेज़ पर एक बेहद खूबसूरत युवती की नमस...
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