गरिमा ने अपनी माँ से उन मुद्दों पर सवाल पूछना लगभग बंद कर दिया था, जिन पर उसकी माँ चाहती थी कि वह न पूछे। वह धैर्यपूर्वक बड़ी होने की प्रतीक्षा कर रही थी, लेकिन उसके मन में जिज्ञासा बनी रही। गरिमा अपने आसपास की घटनाओं से प्रभावित होती थी, विशेषकर अपनी बड़ी बहन प्रिया के बारे में हो रही चर्चाओं से। एक दिन, गरिमा ने अपनी माँ और अन्य महिलाओं को एक पड़ोसी लड़की के चरित्र के बारे में बातें करते सुना, जिसमें कहा जा रहा था कि वह एक लड़के के साथ मिलती है और इस पर समाज में नकारात्मक टिप्पणियां की जा रही थीं। इन चर्चाओं ने गरिमा के मन पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे उसने महसूस किया कि समाज मर्यादा का उल्लंघन करने वालों की भर्त्सना करता है। गरिमा ने तय किया कि वह ऐसा जीवन जीएगी जिससे उसके माता-पिता और समाज संतुष्ट रहें। उसने उन बच्चों को गलत समझा जो सामाजिक नियमों से भटकते थे। हालांकि, समय के साथ उसकी सोच बदलने लगी। उसे एहसास हुआ कि हर व्यक्ति को अपने विचारों के अनुसार जीने का अधिकार होना चाहिए। यह परिवर्तन उसके घर में प्रिया के आचरण के कारण हुआ, जिसने उसकी सोच को चुनौती दी और उसे अपने विचारों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया। दहलीज़ के पार - 3 Dr kavita Tyagi द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 19k 10.3k Downloads 16.6k Views Writen by Dr kavita Tyagi Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण गरिमा ने माँ से ऐसे किसी भी विषय पर प्रश्न पूछना लगभग—लगभग बन्द सा कर दिया था, जिस पर माँ चाहती थी कि गरिमा उन बातो से दूर रहे। अब वह धैर्य धारण करके बड़ी होने की प्रतीक्षा करने लगी थी। किन्तु मन है, वह मानता नही है। न चाहते हुए भी अपने परिवेश मे घटने वाली सवेदनशील घटनाओ से हृदय प्रभावित होता है और जब हृदय मे सवेदना जाग्रत होती है, तो अपनी प्रकृति के अनुरूप मस्तिष्क कुछ न—कुछ सोचता भी अवश्य है। गरिमा भी अपने परिवेश मे घटने वाली प्रायः सभी घटनाओ से प्रभावित होती थी और उसका मनोमस्तिष्क उन घटनाओ के प्रति क्रियाशील होता था। ऐसी अनेक घटनाओ मे से एक घटना उसकी बड़ी बहन प्रिया से सम्बन्धित थी। Novels दहलीज़ के पार उस दिन गरिमा अपने विद्यालय से लौटकर घर पहुँची, तो उसकी माँ एक पड़ोसिन महिला के साथ दरवाजे पर खड़ी हुई बाते कर रही थी। गरिमा जानती थी कि वह महिला, जो उसक... More Likes This वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 द्वारा Arianshika दरवाज़ा: वक़्त के उस पार - 1 द्वारा Naina Khan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी