यह कहानी राकेश नाम के एक युवा छात्र के बारे में है, जो अपने अस्तित्व और पहचान के प्रश्नों पर गंभीरता से विचार कर रहा है। एक सुबह, उसकी माँ उसे जगाती है और उसे नाश्ते के लिए बुलाती है। उसके पिता मजाक में उससे पूछते हैं कि आज कौन सा दार्शनिक प्रश्न उसके मन में है। राकेश बताता है कि वह यह सोच रहा है कि "मैं कौन हूँ?" और "इस दुनिया में मानव का जन्म क्यों होता है?" उसके पिता इसे सामान्य समझते हैं, लेकिन राकेश का यह प्रश्न उसके लिए महत्वपूर्ण है। राकेश, जो बी.काम. का अंतिम वर्ष का छात्र है, अपने विचारों को साझा करता है, लेकिन उसकी माँ उसे व्यर्थ की बातों में उलझने से रोकती है। उसके पिता उसे व्यवसाय में ध्यान देने के लिए कहते हैं, और राकेश पिता के साथ दुकान चला जाता है। दुकान में बैठकर राकेश अपने प्रश्न पर विचार करता है और कागज पर लिखने लगता है कि "मैं कौन हूँ?" और यदि किसी को इसका उत्तर पता हो तो उसे बताने के लिए कहता है। वह यह कागज ग्राहकों को सामान की रसीद के साथ देता है। कहानी का अंत तब होता है जब एक हवलदार, रामसिंह, राकेश के पिता के पास आता है और उन्हें बताता है कि राकेश ने उसे वही कागज दिया है जिसमें यह प्रश्न लिखा हुआ था। यह कहानी राकेश के आत्म-खोज और उसके विचारों के गहराई का प्रतीक है। मैं कौन हूँ भाग १ Rajesh Maheshwari द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 11 1.5k Downloads 11.4k Views Writen by Rajesh Maheshwari Category प्रेरक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मैं कौन हूँ? अरे! तुम अभी तक सो रहे हो! सूर्योदय का कितना प्रकाश हो गया है। माँ की आवाज सुनकर राकेश हड़बड़ाकर उठा। माँ ने उसे चाय का प्याला थमा दिया और कहा- नहा-धो कर जल्दी नीचे आ जाओ। तुम्हारे पापा तैयार हो रहे हैं और नाश्ता भी तैयार हो चुका है। यह कहते हुए माँ कमरे से बाहर निकल गई। राकेश भी उठकर तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर पहुँच गया। वहाँ उसके पिता उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उसे देखते ही उन्होंने उससे कहा- आइये दार्शनिक जी! आज आपके दर्शन शास्त्र में कौन सा नया More Likes This जादुई मुंदरी - 1 द्वारा Darkness दस महाविद्या साधना - 1 द्वारा Darkness श्री गुरु नानक देव जी - 1 द्वारा Singh Pams शब्दों का बोझ - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR नारद भक्ति सूत्र - 13. कर्म फल का त्याग द्वारा Radhey Shreemali कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक - 3 - (अंतिम भाग) द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR काफला यूँ ही चलता रहा - 1 द्वारा Neeraj Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी