Swabhiman - Laghukatha - 43 book and story is written by Shobha Rastogi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Swabhiman - Laghukatha - 43 is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. स्वाभिमान - लघुकथा - 43 Shobha Rastogi द्वारा हिंदी लघुकथा 4 951 Downloads 4.6k Views Writen by Shobha Rastogi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण “सुनो ! तुम मुझे तुम्हारे वियोग के गहरे अहसास में अर्धचेतन-सा छोड़ गए थे। अपना जीवन स्वाहा करने की मंशा लिए मैंने जाना कि नवांकुर फूट गया है। तब से अब तक पल-पल, क्षण क्षण तुम्हे नैनों में बिठा तुम्हारे फूल को सींचा। आज तुम्हारा बेटा वृक्ष बन गया है। उसे समझाओ न, तुम्हारी राह पर न चले। उसे भी तुम्हारी तरह फौजी बनने का चाव है। उसी पथ का पथिक बन उड़ जाना चाहता है मुझसे दूर। डरती हूँ… कहीं वह भी तुम्हारी तरह…न-न… नहीं, मैं उसे कोई फौजी- वौजी नहीं बनने दूँगी। पहले मेरा पति और अब मेरा ही लाल ?… और भी माँओं के बेटे हैं शहादत के लिए…।” माँ-माँ पुकारता नमन उसके नजदीक आया तो वह झट आँचल से आँसू पौंछने लगी। अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी