यह लघुकथा "स्वभिमानी" एक व्यक्ति की कहानी है जो अपनी ज़िन्दगी को लेकर आत्म-मंथन करता है। वह अपने पिछले दो सालों के अनुभवों पर विचार करता है और यह सोचता है कि उसने क्या खोया और क्या पाया। उसके मन में आत्मसम्मान और आत्म-गौरव की भावना है, जिससे वह अपनी परिस्थितियों को समझता है और अपने अस्तित्व को सार्थक बनाने की कोशिश करता है। कहानी इस बात पर प्रकाश डालती है कि व्यक्ति को अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों। स्वाभिमान - लघुकथा - 42 Seema Shivhare suman द्वारा हिंदी लघुकथा 21 1.4k Downloads 5.2k Views Writen by Seema Shivhare suman Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण आप यहां! अब यहां क्या लेने आए हो? पूरे दो साल हो गए अपनी जिंदगी और दिल से निकाले हुए, क्या देखने आए हो? जिंदा हूं ! या मर गई हूं! या अपनी रखेल के लिए कुछ मांगने आए हो। दो साल से मयके में रह रही पत्नि ने अचानक आए पति को देखकर बड़-बडाते हुए कहा। More Likes This चालाक कौवा द्वारा falguni doshi My Shayari Book - 1 द्वारा Roshan baiplawat रंगीन कहानी - भाग 1 द्वारा Gadriya Boy तीन लघुकथाएं द्वारा Sandeep Tomar जब अस्पताल में बच्चा बदल गया द्वारा S Sinha आशरा की जादुई दुनिया - 1 द्वारा IMoni True Love द्वारा Misha Nayra अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी