यह लघुकथा "चिन्दी" में एक मंत्री के दफ्तर में लौटने का वर्णन है। मंत्री जी अपने कमरे में आते हैं और साहब के विदेश जाने की चर्चा करते हैं। कहानी में मंत्री जी की स्थिति और उनके कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। स्वाभिमान - लघुकथा - 20 Harish Kumar Amit द्वारा हिंदी लघुकथा 2 1.2k Downloads 4.5k Views Writen by Harish Kumar Amit Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण साहब अभी-अभी मंत्री जी की कोठी से लौटकर दफ़्तर के अपने कमरे में आए थे। मंत्री जी ने साहब के विदेश जाने की फाइल पर हस्ताक्षर तो कर दिए थे, मगर ऐसा करने से पहले साहब को जैसे रुला ही दिया था। साहब को पिछले कई दिनों से मंत्री जी की चिरौरी तो करनी ही पड़ी थी, साथ ही कई नियमविरुद्ध काम कर देने की हामी भी भरनी पड़ी थी। साहब को विदेश जाने की ख़ुशी में अपने स्वाभिमान का हनन यूँ लग रहा था जैसे स्वादिष्ट मिठाई खाते हुए बीच में कुनैन की कड़वी गोली आ गई हो। More Likes This चिंगारी: जो बुझी नहीं - 1 द्वारा Sumit Sharma पुर्णिमा - भाग 1 द्वारा Soni shakya CM: The untold story - 2 द्वारा Ashvin acharya चालाक कौवा द्वारा falguni doshi My Shayari Book - 1 द्वारा Roshan baiplawat रंगीन कहानी - भाग 1 द्वारा Gadriya Boy तीन लघुकथाएं द्वारा Sandeep Tomar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी