इस कहानी में एक नई बहू और उसकी सास के बीच संवाद है। सास बहू को घूंघट न रखने के लिए डाँटती है, जबकि बहू अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहती है कि वह कॉलेज की प्रिंसिपल हैं और लोगों के सामने घूंघट लेना संभव नहीं है। बहू यह भी बताती है कि उनके परिवार में कोई भी घूंघट नहीं लेता, लेकिन सास का कहना है कि उनके घर में यह अनिवार्य है। बहू सास से पूछती है कि उन्होंने पढ़ी-लिखी और नौकरी पेशा बहू की मांग क्यों की, जब उन्होंने परंपराओं का पालन करने का दबाव बनाया। कहानी इस बात पर केंद्रित है कि पारंपरिक मान्यताएँ और आधुनिकता के बीच संघर्ष कैसे होता है। स्वाभिमान - लघुकथा - 6 Tejveersingh द्वारा हिंदी लघुकथा 4 1k Downloads 3.7k Views Writen by Tejveersingh Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण बहू, जुम्मे जुम्मे आठ दिन भी नहीं हुए शादी को और तुमने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये । माँ जी, यह आप क्या कह रहीं हैं? मैं कुछ समझी नहीं ? अरे वाह, चोरी और सीना जोरी । माँ जी, आप मेरी माँ समान हैं। मुझसे कोई गलती हुयी है तो बेशक डाँटिये फटकारिये मगर मेरी गलती तो बताइये । More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी