एक दिन, अवन्ति अपनी पोती खनक के साथ समय बिता रही थी। पूजा के बाद, खनक दौड़कर आई और दादी से मदद मांगने लगी। उसकी माँ, सुजाता, खनक को स्कूल भेजने के लिए जोर दे रही थी, जबकि खनक स्कूल जाने से मना कर रही थी और कह रही थी कि उसके पैरों में दर्द हो रहा है। सुजाता ने अवन्ति को भी खनक को समझाने के लिए कहा, लेकिन अवन्ति ने खनक का पक्ष लिया। खनक के पिता, कर्ण, भी उसे समझाने आए और उसे स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया। खनक ने दादी से गुहार लगाई कि वे पापा को कह दें कि वह स्कूल नहीं जाना चाहती। अवन्ति ने खनक को समझाया कि उसे मम्मी-पापा की बात माननी चाहिए। अंत में, खनक ने पापा से वादा किया कि अगर वह आज स्कूल नहीं गई, तो कल जरूर जाएगी। जब सुजाता और कर्ण ऑफिस चले गए, खनक खुशी-खुशी खेलने लगी। उसने दादी से पूछा कि क्या वह उसके साथ खेलेंगी। अवन्ति ने खनक से उसके दर्द के बारे में पूछते हुए कहा कि उसे स्कूल जाने पर ही दर्द क्यों होता है। खनक ने बताया कि घर पर रहने पर उसे कोई दर्द नहीं होता, लेकिन स्कूल जाने पर उसे दर्द होता है। यह कहानी खनक के स्कूल जाने के डर और दादी-पोती के बीच के प्यारे रिश्ते को दर्शाती है।
माइ सेल्फ शुभम , नाम तो सुना होगा?
Jahnavi Suman
द्वारा
हिंदी बाल कथाएँ
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विवरण
माइ सेल्फ शुभम ,नाम तो सुना होगा? 'ओम गं गं गणपते नमो नमः' का जाप करते हुए जैसे ही अवन्ति ने पूजा घर से बाहर पाँव रखा उसकी पोती खनक दौड़ती हुई आई और अवन्ति से लिपटते हुए बोली, 'दादी माँ मुझे बचा लो' 'अरे क्या हो गया । कौन आ गया खनक?' चश्मे को साड़ी के पल्ले से मलकर अवन्ति ने आँखों पर चश्मा चढ़ाया ओर इधर उधर देखने लगी।खनक ने मेज़ के नीचे घुसते हुए दादी अवन्ति को चुप रहने का इशारा किया।तभी खनक की माँ 'सुजाता' चिल्लाती हुई उधर पहुँच गईं।'खनक बाहर निकल आज मैं
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