यह कहानी अगस्त 2018 की कविताओं का संग्रह है, जिसमें तीन प्रमुख कविताएँ शामिल हैं: 1. **पुरानी बातें**: यह कविता अतीत की यादों को ताज़ा करती है, जहां कवि अपने बचपन की सरलताओं और प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करता है। वह बताता है कि कैसे पेड़ लगाने और नदियों में तैरने की खुशी थी। कवि के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण थी, लेकिन वह पढ़ाई से अधिक प्रकृति के साथ जुड़ाव को प्राथमिकता देता था। 2. **ओ आदमी**: इस कविता में कवि मानवता की स्थिति पर सवाल उठाता है। वह पूछता है कि मनुष्य कहाँ जा रहा है और उसकी पहचान क्या है। यह कविता ब्रह्मांड की विशालता और मानवता के ज्ञान की खोज पर केंद्रित है, जिसमें गीता का संदर्भ भी है। 3. **पृथ्वी की सहनशीलता**: इस कविता में कवि पृथ्वी की सीमाओं के बारे में बात करता है। वह चेतावनी देता है कि पृथ्वी अब और सब कुछ सहन नहीं कर सकती, विशेष रूप से कटे वृक्षों और गंदी नदियों के प्रति। यह पर्यावरण की रक्षा की आवश्यकता को उजागर करता है। कुल मिलाकर, यह संग्रह अतीत की यादों, मानवता की पहचान और पृथ्वी के प्रति जिम्मेदारी की बात करता है। अगस्त २०१८ की कविताएं और दिनचर्या महेश रौतेला द्वारा हिंदी कविता 528 1.6k Downloads 5.4k Views Writen by महेश रौतेला Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अगस्त 2018 की कविताएं१.पुरानी बातें आज भी दोहरा सकता हूँ,जैसे आकाश साफ दिखता थामूसलाधार बारिश होती थीपढ़ाई पर सपना लिखा रहता थाकिताबों की प्रशंसा होती थी,शिक्षित होना अनिवार्य था,पर पढ़ने से अधिक वृक्ष लगानाऔर पेड़ों पर चढ़ना अधिक अच्छा लगता था,नदियों की कल-कल में बहुत दूर तक तैर लेते थे,पहाड़ी नदियां गंदी नहीं होती थीं,सबकी परिच्छाइयां बनाने में सक्षम थीं।पगडण्डी मुड़ती थीइंतजार मन में उमड़ता- घुमड़ता था,झील पर रूकना होता था,कभी लड़के गाते थेकभी लड़कियां गुनगुनाती थीं,पहाड़ भी अपनी ऊँचाई दिखाता था।जो प्यार किया स्वयं ही हो गया था,जैसे जनम अचानक हो जाता है।पुरानी बातें आज भी दोहरा सकता हूँ,जैसे More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी