यह कहानी एक बड़े आदमी की विनम्रता के बारे में है, जो आमतौर पर लोगों के बीच हावी रहने की प्रवृत्ति के विपरीत है। कहानी के नायक को यह आश्चर्य होता है कि इतना बड़ा आदमी उसके दरवाजे पर आकर भी विनम्रता दिखा रहा है। वह सोचता है कि लोग आमतौर पर दूसरों पर हावी होने की कोशिश करते हैं और विनम्रता को कमजोरी मानते हैं। यह आक्रामकता छोटे लोगों के अंदर के भय का परिणाम है कि वे हमेशा दूसरों पर हावी रहना चाहते हैं। लेकिन इस बड़े आदमी की विनम्रता यह दर्शाती है कि वह किसी से नहीं डरता और यह एक असामान्य व्यवहार है जो नायक को सोचने पर मजबूर करता है। सौदागर Mirza Hafiz Baig द्वारा हिंदी लघुकथा 4.6k 2.3k Downloads 9.9k Views Writen by Mirza Hafiz Baig Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण उसे कौन नही पहचानता । इतना बङा आदमी और मेरे दरवाजे पर ठीक है । बात यकीन करने की नही है, लेकिन है तो सच । इतना बङा आदमी और इतनी विनम्रता । किसी को यकीन होगा क्या । ………… शेष कहानी मे…… आप यकीन करेंगे More Likes This यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 द्वारा Bikash parajuli Trupti - 1 द्वारा sach tar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी