"निज जीवन की एक छटा" रामप्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखा गया आत्म-चरित्र है, जिसमें उनके पूर्वजों का जीवन वर्णित है। कहानी की शुरुआत ग्वालियर राज्य के दो उद्दण्ड गाँवों से होती है, जहाँ के निवासी राज्य की सत्ता की परवाह नहीं करते। जमींदार जब चाहें, भूमि-कर देते हैं और जब चाहें, नहीं देते। एक जमींदार की कहानी बताई जाती है, जिसने कर न देने के कारण कई सालों तक भाग-दौड़ की और अंततः उसकी भूमि माफी में दे दी गई। गाँव वालों ने एक बार महाराज के साठ ऊंट चुराए, जिसके बाद राज्य ने उन्हें तोपों से उड़ाने का आदेश दिया, लेकिन अंततः समझाने पर वे ऊंट लौटाए गए। ये लोग अंग्रेजी राज्य में भी उपद्रव करते रहे। बिस्मिल के दादा श्री नारायणलाल जी कौटुम्बिक कलह के कारण अपनी जन्मभूमि छोड़कर शाहजहाँपुर आए, जहाँ उनके साथ उनकी पत्नी और दो पुत्र थे। उस समय वहाँ भयंकर दुर्भिक्ष था। नारायणलाल जी को एक छोटी सी नौकरी मिली, लेकिन तीन रुपए में चार लोगों का गुजारा करना कठिन था। दादी जी ने बच्चों को बचाने के लिए खुद आधे पेट रहने का प्रयास किया, लेकिन फिर भी परिवार का निर्वाह नहीं हो सका। निज जीवन की एक छटा - राम प्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा Ram Prasad Bismil द्वारा हिंदी जीवनी 3 11.3k Downloads 35.2k Views Writen by Ram Prasad Bismil Category जीवनी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण तोमरधार में चम्बल नदी के किनारे पर दो ग्राम आबाद हैं, जो ग्वालियर राज्य में बहुत ही प्रसिद्ध हैं, क्योंकि इन ग्रामों के निवासी बड़े उद्दण्ड हैं। वे राज्य की सत्ता की कोई चिन्ता नहीं करते। जमीदारों का यह हाल है कि जिस साल उनके मन में आता है राज्य को भूमि-कर देते हैं और जिस साल उनकी इच्छा नहीं होती, मालगुजारी देने से साफ इन्कार कर जाते हैं। यदि तहसीलदार या कोई और राज्य का अधिकारी आता है तो ये जमींदार बीहड़ में चले जाते हैं और महीनों बीहड़ों में ही पड़े रहते हैं। उनके पशु भी वहीं रहते हैं और भोजनादि भी बीहड़ों में ही होता है। घर पर कोई ऐसा मूल्यवान पदार्थ नहीं छोड़ते जिसे नीलाम करके मालगुजारी वसूल की जा सके। एक जमींदार के संबंध में कथा प्रचलित है कि मालगुजारी न देने के कारण ही उनको कुछ भूमि माफी में मिल गई। पहले तो कई साल तक भागे रहे। एक बार धोखे से पकड़ लिए गए तो तहसील के अधिकारियों ने उन्हें बहुत सताया। कई दिन तक बिना खाना-पानी के बँधा रहने दिया। More Likes This श्री बप्पा रावल श्रृंखला - खण्ड-दो द्वारा The Bappa Rawal नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 2 द्वारा Shailesh verma श्री बप्पा रावल - 1 - तथ्यात्मक विश्लेषण द्वारा The Bappa Rawal नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 1 द्वारा Anarchy Short Story महाराजा रणजीत सिंह - परिचय द्वारा Sudhir Sisaudiya राजा महेन्द्र प्रताप सिंह: एक गुमनाम सम्राट - 1 द्वारा Narayan Menariya येल्लप्रगडा सुब्बाराव - 2 द्वारा Narayan Menariya अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी