कहानी "वो साड़ी" में, मुख्य पात्र अपने दोस्त श्रेया के साथ बाजार जाती है चद्दरें खरीदने के लिए। वह जानती है कि पुरानी चद्दरें ठीक हैं, लेकिन नई दुकान के बारे में सुनकर खरीदारी करने का मन बनाती है। दुकान में चद्दरों के अलावा अन्य सामान भी देखती है और बजट से अधिक खर्च कर देती है। जब वह दुकान से बाहर आती है, तो उसकी नजरें एक साड़ी के शोरूम पर पड़ती हैं जो सेल पर है। श्रेया को यह आकर्षित करता है, और वह साड़ियों की ओर खींची जाती है। मुख्य पात्र शुरू में खुद को समझाती है कि उसे साड़ियाँ नहीं खरीदनी चाहिए, लेकिन अंततः उसे अपनी इच्छाओं के आगे झुकना पड़ता है। कहानी में खरीदारी के प्रति दीवानगी और बजट के उल्लंघन की समस्या को दर्शाया गया है। वो साड़ी Neetu Singh Renuka द्वारा हिंदी लघुकथा 11 889 Downloads 5k Views Writen by Neetu Singh Renuka Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण शॉपिंग की दीवानगी वैसे ही कोई ठिकाना नहीं होता। ऐसे में अगर कहीं सेल लगी हो तो सोचिए शॉपिंग के दीवानों को क्या हाल हो। उस पर भी सेल साड़ी की हो तो फिर क्या कहना More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी