कहानी "स्वाभिमानी" में, बूढ़ा नौकर फिलिप्पिच एक चिट्ठी लेकर दादी के पास आता है। दादी चिट्ठी पढ़ने के बाद पूछती हैं कि क्या उस चिट्ठी का लेखक वहां मौजूद है। फिलिप्पिच बताता है कि वह व्यक्ति दीवान खाने में बैठा है। दादी उसे बुलाने के लिए कहती हैं और आदेश देती हैं कि उनके पोते को चुपचाप बैठना है। कुछ समय बाद, एक सांवला आदमी, जिसका नाम बैबूरिन है, कमरे में प्रवेश करता है। उसकी शारीरिक विशेषताएं और व्यक्तित्व उसकी पहचान के बारे में प्रश्न उठाते हैं। यह संवाद और पात्रों की विशेषताएँ कहानी के केंद्र में हैं।
स्वाभिमानी - 1
Ivan Turgenev द्वारा हिंदी लघुकथा
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विवरण
1830 बूढ़ा नौकर फिलिप्पिच दबे पांव, जैसी कि उसकी आदत थी, गले में रूमाल बांधे वहां पहुंचा। उसके होंठ खूब कसकर दबे हुए थे, जिससे उसकी सांस की गंध महसूस न हो और पेशानी के ठीक बीच में सफेद रंग के बालों का गुच्छा पड़ा हुआ था। उसने अन्दर दाखिल होकर सलाम किया और मेरी दादी के हाथ में एक लम्बी चिट्ठी रख दी, जिस पर मुहर लगी हुई थी। मेरी दादी ने चश्मा उठाया और उस पत्र को शुरू से आखिर तक पढ़ डाला।
बुढ़ापा आ गया है, बीमार भी हूं और अब मेरे विचार अक्सर मृत्यु की ओर ही जाया करते हैं जो दिन-ब-दिन मेरे पास आ रही है। कदाचित् ही मैं भूतकाल के संबंध म...
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