"आँख की किरकिरी" कहानी में महेन्द्र और विनोदिनी के बीच की मानसिक और भावनात्मक दूरी को दर्शाया गया है। महेन्द्र अपनी पत्नी विनोदिनी के जाने के बाद उदास है और उसे अपने माँ राजलक्ष्मी की चिंता होती है। राजलक्ष्मी, महेन्द्र की भलाई की सोचते हुए, विनोदिनी से कहती है कि महेन्द्र को उनकी देखभाल की आवश्यकता है। विनोदिनी, जो महेन्द्र के लिए कई प्रयास कर रही है, उसकी यादों में व्यस्त है और अपने काम को प्यार से करती है। महेन्द्र जब अपने कमरे में लौटता है, तो उसे वहां की खूबसूरत सजावट देखकर आश्चर्य होता है, जो विनोदिनी की मेहनत का परिणाम है। कहानी में प्रेम, दुख, और रिश्तों की जटिलता को दर्शाया गया है, जिसमें भावनाओं का गहरा प्रभाव है।
चोखेर बाली - 4
Rabindranath Tagore
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
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विवरण
एक ओर चाँद डूबता है, दूसरी और सूरज़ उगता है। आशा चली गई लेकिन महेन्द्र के नसीब में अभी तक विनोदिनी के दर्शन नहीं। महेन्द्र डोलता-फिरता, जब-तब किसी बहाने माँ के कमरे में पहुँच जाता- लेकिन विनोदिनी उसे पास आने की कोई मौका ही न देती। महेन्द्र को ऐसा उदास देखकर राजलक्ष्मी सोचने लगी- 'बहू चली गई, इसीलिए महेन्द्र को कुछ अच्छा नहीं लगता है।' अब महेन्द्र के सुख-दुख के लिहाज से माँ गैर जैसी हो गई है। हालाँकि इस बात के जहन में आते ही उसे मर्मांतक हुआ! फिर भी वह मयंक को उदास देखकर चिन्तित हो गई।
विनोद की माँ हस्मिती महेन्द्र की माँ राजलक्ष्मी के पास जाकर धरना देने लगी। दोनों एक ही गाँव की थीं, छुटपन में साथ खेली थीं। राजलक्ष्मी महेन्द्र के पीछ...
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