कहानी "आँख की किरकिरी" में महेन्द्र की विनोदिनी के प्रति बढ़ती चाहत का उल्लेख है, लेकिन उसकी माँ राजलक्ष्मी बीमार हो जाती हैं। विनोदिनी उनकी सेवा में लगी रहती है, जबकि महेन्द्र बार-बार उनके पास आता है, जो विनोदिनी को अच्छा नहीं लगता। वह महेन्द्र को बार-बार कॉलेज जाने की सलाह देती है। इस बीच, बिहारी भी उनकी सेवा में आता है और विनोदिनी की मेहनत की सराहना करता है। महेन्द्र का मिजाज बिगड़ता जा रहा है क्योंकि घर के कामकाज में गड़बड़ी हो रही है, और वह आशा पर नाराज होता है। आशा को लगता है कि उसकी अयोग्यता के कारण वह कोई काम ठीक से नहीं कर पाती। महेन्द्र की अपेक्षाएँ बढ़ती हैं, और वह विनोदिनी की तुलना में आशा को कमतर आंकता है। कहानी में संबंधों की जटिलताओं और घरेलू जिम्मेदारियों का चित्रण किया गया है। चोखेर बाली - 3 Rabindranath Tagore द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 22.1k 26k Downloads 40.6k Views Writen by Rabindranath Tagore Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण पिकनिक के दिन जो वाकया गुज़रा उसके बाद फिर महेन्द्र में विनोदिनी को अपनाने की चाहत बढ़ने लगी। लेकिन दूसरे ही दिन राजलक्ष्मी को फ्लू हो गया। बीमारी कुछ खास न थी, फिर भी उन्हें तकलीफ और कमज़ोरी काफी थी। विनोदिनी रात-दिन उनकी सेवा में लगी रहती। महेन्द्र बोला- 'माँ के सेवा-जतन में यों दिन-रात एक करोगी, तो तुम्हीं बीमार पड़ जाओगी।' बिहारी ने कहा- 'आप नाहक परेशान हैं, भैया! ये सेवा कर रही है, करने दो। दूसरा कोई ऐसी सेवा थोड़े ही करेगा।' महेन्द्र बार-बार मरीज़ के कमरे में आने-जाने लगा। एक आदमी काम कुछ नहीं करता, लेकिन हर घड़ी पीछे लगा फिरता है, यह बात विनोदिनी को अच्छी न लगी। तंग आकर उसने दो-तीन बार कहा- 'महेन्द्र बाबू, यहाँ बैठे रहकर आप क्या कर रहे हैं? जाइए, नाहक क्यों कॉलेज से गैर-हाज़िर होते हैं?' Novels चोखेर बाली विनोद की माँ हस्मिती महेन्द्र की माँ राजलक्ष्मी के पास जाकर धरना देने लगी। दोनों एक ही गाँव की थीं, छुटपन में साथ खेली थीं। राजलक्ष्मी महेन्द्र के पीछ... More Likes This वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 द्वारा Arianshika दरवाज़ा: वक़्त के उस पार - 1 द्वारा Naina Khan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी