योगेश बाबू, एक प्रतिभाशाली चित्रकार, एक दिन आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू के घर पहुंचे, जहां प्रोफेसर अपने दोस्तों के साथ मजे कर रहे थे। बातचीत के दौरान, यह सामने आया कि नरेन्द्र, एक अन्य चित्रकार, ने योगेश को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा और कहा कि योगेश अपने चित्र आदर्शों के अनुसार नहीं बनाते, बल्कि पैसे के लिए बनाते हैं। योगेश ने इसे उपेक्षित किया, लेकिन उनके क्रोधित होने पर कमरे के अन्य लोग चुपचाप हंसने लगे। योगेश, जो अपने बालों और चेहरे के कारण आत्मविश्वास की कमी महसूस कर रहे थे, ने इस पर गुस्से में प्रतिक्रिया दी। इस स्थिति ने योगेश की मानसिकता और कलाकारों के बीच प्रतिस्पर्धा को दर्शाया। अन्तिम प्यार से Rabindranath Tagore द्वारा हिंदी लघुकथा 2 2.8k Downloads 18.1k Views Writen by Rabindranath Tagore Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे थे, ठीक उसी समय योगेश बाबू ने कमरे में प्रवेश किया। योगेश बाबू अच्छे चित्रकार थे, उन्होंने अभी थोड़े समय पूर्व ही स्कूल छोड़ा था। उन्हें देखकर एक व्यक्ति ने कहा-योगेश बाबू! नरेन्द्र क्या कहता है, आपने सुना कुछ? More Likes This तीन लघुकथाएं द्वारा Sandeep Tomar जब अस्पताल में बच्चा बदल गया द्वारा S Sinha आशरा की जादुई दुनिया - 1 द्वारा IMoni True Love द्वारा Misha Nayra मज़बूत बनकर लौटा समन्दर द्वारा LOTUS पाठशाला द्वारा Kishore Sharma Saraswat डिप्रेशन - भाग 1 द्वारा Neeta Batham अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी