<html> <body> <p>राष्ट्र का सेवक</p> <p>मुंशी प्रेमचंद</p> <p><br /></p> <p>© COPYRIGHTS</p> <p>This book is copyrighted content of the concerned author as well as MatruBharti.</p> <p>MatruBharti has exclusive digital publishing rights of this book.</p> <p>Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited.</p> <p>MatruBharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court.</p> <p>जन्म</p> <p>प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम अजायब राय था। वह डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम करते थे।</p> <p>जीवन</p> <p>धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी, तब माता के स्वर्गवास के बाद से उन्हें विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। पिता ने दूसरी शादी कर ली, जिससे प्रेमचंद को प्यार और स्नेह का अभाव रहा। उनके घर में भयंकर गरीबी थी, और सौतेली माँ का व्यवहार भी कठिनाई बढ़ाता था।</p> <p>शादी</p> <p>पिता ने 15 साल की आयु में प्रेमचंद का विवाह कर दिया। पत्नी उम्र में बड़ी और बदसूरत थी, जिससे प्रेमचंद को मानसिक कष्ट हुआ। विवाह के एक साल बाद पिता का देहान्त हो गया, जिससे उनके सिर पर पूरे घर का बोझ आ गया। इसके चलते उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और अंततः उन्हें अपना कोट और पुस्तकें बेचनी पड़ीं।</p> <p>शिक्षा</p> <p>प्रेमचंद ने गरीबी के बावजूद मैट्रिक तक पढ़ाई की। उन्हें वकील बनने का सपना था, लेकिन आर्थिक स्थिति ने उन्हें बाधित किया। ट्यूशन के माध्यम से वे अपनी पढ़ाई जारी रखते रहे, लेकिन पैसे की कमी ने उन्हें कठिनाइयों में डाल दिया।</p> </body> </html> राष्ट्र का सेवक Munshi Premchand द्वारा हिंदी जीवनी 6.9k Downloads 25.2k Views Writen by Munshi Premchand Category जीवनी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण दुनिया ने कहा यह फ़रिश्ता है, पैगम्बर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है इन्दिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा राष्ट्र का सेवक नीची जात के नौज्वाब को मंदिर में ले गया, देवता के दर्शन कराए और कहा हमारा देवता गरीबी में है, जिल्लत में है ये पस्ती में है दुनिया ने कहा कैसे शुध्ध अंतरुकरण का आदमी है! कैसा ज्ञानी! इन्दिरा ने देखा और मुस्करायी इन्दिरा राष्ट्र के सेवक के पास जा कर बोली, श्रध्धेय पिता जी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नजरों से देख कर पूछा मोहन कौन है? इन्दिरा ने उत्साह-भरे स्वर में कहा... More Likes This यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (2) द्वारा Ramesh Desai नकल से कहीं क्रान्ति नहीं हुई - 1 द्वारा Dr. Suryapal Singh अवसान विहीन अरुणेश द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी प्रेमानंद जी : राधा-कृष्ण लीला के रसिक साधक - 1 द्वारा mood Writer जगमोहन शर्मा (अविस्मरणीय) द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी Narendra Modi Biography - 1 द्वारा mood Writer मीरा बाई : कृष्ण भक्ति की अमर साधिका - 1 द्वारा mood Writer अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी