कहानी "परछाई" में मोना की पहचान मनीष के लिए एक गहरा एहसास बन जाती है। मनीष को मोना की याद आती है, उसकी खूबसूरती और अदाओं के साथ। वह मि. पारिख के साथ बातचीत में उलझा हुआ है, जो उसकी स्मृतियों को ताजा करता है। मनीष और उसकी पत्नी कीर्ति के बीच बातचीत होती है, जिसमें मनीष कीर्ति की सुंदरता की तारीफ करता है। मनीष की चिंता यह है कि कीर्ति के होंठ किसी तरह से कट न जाएं। कहानी में संवादों के माध्यम से हम देखते हैं कि मनीष कीर्ति से जुड़ी यादों में खोया हुआ है और उसके बोलने में उसे एक मधुर तान का एहसास होता है। अहमदाबाद का उल्लेख भी कहानी में महत्वपूर्ण है, जो मनीष को अपनी जड़ों से जोड़ता है। कहानी का मुख्य तत्त्व स्मृति, पहचान और भावनाओं का जाल है, जो मनीष को मोना की परछाई में देखने को मजबूर करता है। परछाई Bhagwan Atlani द्वारा हिंदी लघुकथा 2.2k 2.1k Downloads 10k Views Writen by Bhagwan Atlani Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण story of a boss who seeks invitation from a newly wedded male employee whose wife's face resembles with the girl friend who died in an accident when boss was young.when boss asks the employee for a copy of her photograph,he suddenly realises that SHE is not SHE. More Likes This नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी