"देवदास" कहानी में, एक गर्म बैसाख के दिन, देवदास पाठशाला में बैठा हुआ है और खेलकूद की जगह पढ़ाई के लिए चिंतित है। उसके साथी बच्चे खेल रहे हैं, लेकिन देवदास को अपनी पढ़ाई के कारण बाहर जाने की अनुमति नहीं है। पाठशाला में पंडितजी सो रहे हैं और छात्र सरदार भूलो उनकी देखरेख कर रहा है। पार्वती, जो हाल ही में पंडितजी के संरक्षण में आई है, चित्र बना रही है। देवदास अपने सवालों को हल करने की कोशिश करता है और भूलो से मदद मांगता है। कहानी में छात्रों की दिनचर्या, खेल, और पंडितजी के प्रति उनकी जिम्मेदारियों का चित्रण किया गया है। एक चूने का ढेर भी है, जिसे पंडितजी ने भविष्य में मकान बनाने के लिए सुरक्षित रखा है। यह कहानी युवा छात्रों के जीवन, उनकी इच्छाओं और जिम्मेदारियों के बीच संघर्ष को दर्शाती है। देवदास Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 21.9k 28.9k Downloads 54.2k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category प्रेम कथाएँ पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण शरत् बाबू के उपन्यासों में जिस रचना को सब से अधिक लोकप्रियता मिली है वह है देवदास। तालसोनापुर गाँव के देवदास और पार्वती बालपन से अभिन्न स्नेह सूत्रों में बँध जाते हैं, किन्तु देवदास की भीरू प्रवृत्ति और उसके माता-पिता के मिथ्या कुलाभिमान के कारण दोनों का विवाह नहीं हो पाता। दो तीन हजार रुपये मिलने की आशा में पार्वती के स्वार्थी पिता तेरह वर्षीय पार्वती को चालीस वर्षीय दुहाजू भुवन चौधरी के हाथ बेच देते हैं, जिसकी विवाहिता कन्या उम्र में पार्वती से बड़ी थी। विवाहोपरान्त पार्वती अपने पति और परिवार की पूर्णनिष्ठा व समर्पण के साथ देखभाल करती है। निष्फल प्रेम के कारण नैराश्य में डूबा देवदास मदिरा सेवन आरम्भ करता है,जिस कारण उसका स्वास्थ्य बहुत अधिक गिर जाता है। कोलकाता में चन्द्रमुखी वेश्या से देवदास के घनिष्ठ संबंध स्थापित होते हैं। देवदास के सम्पर्क में चन्द्रमुखी के अन्तर सत प्रवृत्तियाँ जाग्रत होती हैं। वह सदैव के लिए वेश्यावृत्ति का परित्याग कर अशथझूरी गाँव में रहकर समाजसेवा का व्रत लेती है। बीमारी के अन्तिम दिनों में देवदास पार्वती के ससुराल हाथीपोता पहुँचता है किन्तु देर रात होने के कारण उसके घर नहीं जाता। सवेरे तक उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। उसके अपरिचित शव को चाण्डाल जला देते हैं। देवदास के दुखद अन्त के बारे में सुनकर पार्वती बेहोश हो जाती है। देवदास में वंशगत भेदभाव एवं लड़की बेचने की कुप्रथा के साथ निष्फल प्रेम के करुण कहानी कही गयी है। More Likes This मोहब्बत के वो दिन - 1 द्वारा Bikash parajuli बेजुबान इश्क - 1 द्वारा soni खूबसूरत टकराव - 1 द्वारा Amreen Khan लैंस के पार एक तस्वीर प्यार की - 1 द्वारा vikram kori अनजानी मोहोब्बत - 1 द्वारा khwahishh हुकुम की मासूम मोहब्बत - भाग 1 द्वारा Candy Yadav अधूरा प्यार - भाग 1 द्वारा Priya अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी