यह कहानी एक प्रसिद्ध छात्रावास के इर्द-गिर्द घूमती है, जो जाति आधारित राजनीति का केंद्र है। छात्रावास के छात्र एक ही जाति के हैं और यह स्थान पूर्व छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है। हर साल सरस्वती पूजा के अवसर पर छात्रावास का प्रभाव और भी बढ़ जाता है, खासकर जब प्रदेश का मुखिया भी इसी छात्रावास का पूर्व छात्र हो। छात्रावास के छात्रों का स्थानीय लोगों और दुकानदारों पर गहरा प्रभाव होता है, जिससे उन्हें मनमाने चंदे वसूलने में कोई कठिनाई नहीं होती। यदि कोई दुकानदार चंदा देने से मना करता है, तो उसे बाद में इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इस तरह, छात्रावास ने जाति और राजनीति के खेल में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है, जिसमें त्योहारों का भी खास महत्व है। जाने वाले ज़रा होशियार Dr Musafir Baitha द्वारा हिंदी क्लासिक कहानियां 4 1.9k Downloads 8.7k Views Writen by Dr Musafir Baitha Category क्लासिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण यह एक कहानी है जो nation story competition-jan के लिए है। More Likes This सन्यासी -- भाग - 32 द्वारा Saroj Verma जादुई आईना - पार्ट 1 द्वारा Manshi K मंजिले - भाग 9 द्वारा Neeraj Sharma ज्वार या भाटा - भाग 1 द्वारा Lalit Kishor Aka Shitiz तेरी मेरी यारी - 5 द्वारा Ashish Kumar Trivedi आखेट महल - 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil कहानी फ्रेंडशिप की - 1 द्वारा Shahid Raza अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी