"चतुर्भुज" एक कहानी है जिसमें मुख्य पात्र अपने आप को देखने और पहचानने की प्रक्रिया में है। वह अपने चलने, दिखने और व्यवहार का ध्यान रखते हुए अपने बारे में विचार करता है। कहानी में वह अपने इमेजिनेशन में खुद को विभिन्न परिस्थितियों में देखता है, जैसे समारोह में या किसी के साथ बातचीत करते हुए। एक दिन, जब वह अपने विचारों में खोया होता है, कोई उसे पहचानता है और उसे चतुर्भुज कहकर बुलाता है, जिससे वह खुद को पहचानने की अपनी स्थिति पर हंसता है। कहानी में डॉ. परमार का बुत और हिमबाला की मूर्ति का उल्लेख है, जो उस पार्क में स्थापित है। हिमबाला की मूर्ति के साथ सैलानी पानी पीने और फोटो खिंचवाने का आनंद लेते हैं। कहानी में आत्म-चिंतन और पहचानने की यात्रा को दर्शाया गया है, साथ ही सामाजिक जीवन में उपस्थित होने के अनुभव को भी। चतुर्भुज Sudarshan Vashishth द्वारा हिंदी लघुकथा 2.1k Downloads 7k Views Writen by Sudarshan Vashishth Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Chaturbhuj - Sudarshan Vashishth More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी