"जनपथ का दर्द" कहानी एक बूढ़े मोची की है जो पुलिस वाले के जूतों को चमकाने में व्यस्त है। जब मोची जूते चमका देता है और पैसे मांगता है, तो पुलिस वाले को गुस्सा आ जाता है और वह मोची को लात मार देता है। मोची माफी मांगता है, लेकिन पुलिस वाला उसकी गरीबी और लाचारी को अनदेखा कर जाता है। कहानी में जनपथ का वर्णन भी है, जहां लोग अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं। वहाँ एक बूढ़ी महिला फल बेचती है, और एक दिन नगरपालिका के अधिकारी सबका सामान उठा लेते हैं। ड्राइ फ्रूट वाला तेजी से भाग जाता है, जबकि बाकी लोग अपनी जगह पर काम करने लगते हैं। यह सब कुछ वर्षों से चल रहा है, और नगरपालिका अधिकारी भी जानते हैं कि यह सब रोकना मुश्किल है। लेखक ने इस स्थिति पर अपने संस्थान के चेयरमैन से सवाल उठाया है, लेकिन उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिलता। जनपथ का दर्द Ved Prakash Tyagi द्वारा हिंदी लघुकथा 17.6k 1.1k Downloads 4.8k Views Writen by Ved Prakash Tyagi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण स्व रोजगार करके अपनी रोजी कमाकर रोटी खाने वाले लोगों के सामने नगर निगम और पुलिस किस तरह अडचने पैदा करते हैं जिसका नगर निगम या पुलिस को तो कोई लाभ नहीं है लेकिन गरीब का भारी नुकसान हो जाता है More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी