शिखा की सबसे प्रिय सखी दीपा उसे बार-बार अपनी बहन रिया की शादी के लिए इंदौर चलने का आग्रह कर रही थी । शिखा जानती थी अगर विवाह समारोह भोपाल में होता तो उसकी मां कभी इनकार नहीं करती लेकिन दूसरे शहर जाने की आज्ञा वे नहीं देंगी । वह दीपा को समझाने की निरंतर कोशिश कर रही थी पर दीपा मान नहीं रही थी। मन तो शिखा का भी बहुत था पर मां को समझाना नामुमकिन था । मां के अलावा उसकाऔर कोई नहीं था, इसलिए मां की इच्छा का मान रखना आवश्यक समझती थी । लेकिन दीपा भी हार मानने वाली नहीं थी अपने माता पिता को लेकर शिखा के घर आ धमकी।

Full Novel

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नियति - 1

शिखा की सबसे प्रिय सखी दीपा उसे बार-बार अपनी बहन रिया की शादी के लिए इंदौर चलने का आग्रह रही थी । शिखा जानती थी अगर विवाह समारोह भोपाल में होता तो उसकी मां कभी इनकार नहीं करती लेकिन दूसरे शहर जाने की आज्ञा वे नहीं देंगी । वह दीपा को समझाने की निरंतर कोशिश कर रही थी पर दीपा मान नहीं रही थी। मन तो शिखा का भी बहुत था पर मां को समझाना नामुमकिन था । मां के अलावा उसकाऔर कोई नहीं था, इसलिए मां की इच्छा का मान रखना आवश्यक समझती थी । लेकिन दीपा भी हार मानने वाली नहीं थी अपने माता पिता को लेकर शिखा के घर आ धमकी। ...और पढ़े

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नियति - 2

जिस कमरे में शिखा और दीपा ठहरे थे वह रोहन का ही था। अलमारियों में ताला नहीं लगा था, करीने से लगा हुआ था । दीपा को नींद नहीं आ रही थी वह आंखे बंद करके लेटी हुई थी । लेकिन शिखा नजरें घुमा घुमा कर कमरे की प्रत्येक वस्तु को ध्यान से देख रही थी। वस्तुओं को वह रोहन से जोड़कर देख रही थी, उसके व्यक्तित्व को एक आकार देने की कोशिश कर रही थी। दीपा की बातों से उसे यह तो समझ आ गया था रोहन मेहनती और पक्के इरादों वाला नौजवान है । ...और पढ़े

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नियति - 3

शिखा को नहीं पता वह कैसे सूटकेस लेकर कमरे से बाहर आई । घर में सन्नाटा था रिया को करके सब बेसुध सो रहे थे । वह चुपचाप घर से बाहर निकल गई । ठंडी ठंडी हवा शरीर को चुभ रही थी लेकिन उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था । उसे नहीं याद वह कितना चली, कब उसे एक ऑटो दिखाई दिया और कब उस पर सवार होकर बस स्टैंड पहुंची। पौ फटने वाली थी, पहली बस भोपाल के लिए रवाना होने को तैयार थी। वह टिकट लेकर उसमें बैठ गई । होश उसे तब आया जब उसने अपने घर की घंटी दबाई। ...और पढ़े

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नियति - 4

शिखा के घर के दरवाजे के आगे तीन चार सीढ़ियां थी । दीपा उन्हीं पर बैठकर सुबकने लगी, रोहन में था। कुछ पल खड़ा रहा है फिर तेज कदमों से चलता हुआ निकट के रखे गमले को ठोकर मारता हुआ गाड़ी में जाकर बैठ गया। दीपा भी चुपचाप गाड़ी में जाकर बैठ गई । लौटते हुए लग रहा था मानो यात्रा खत्म ही नहीं हो रही हो, जैसे गाड़ी आगे बढ़ ही नहीं रही थी। घर पहुंचे तो थक कर बुरा हाल था, ना सुबह से कुछ खाया था न पिया था । जिस काम से गए थे उसका कुछ परिणाम नहीं निकला, आने जाने में आठ दस घंटे लग गए । ...और पढ़े

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नियति - 5

डॉक्टर की बात सुनकर दीपा सन्न रह गई, उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। यह होना और रह गया था। अब आगे क्या होगा, कैसे होगा, उसकी समझ में नहीं आ रहा था‌। वह अगर फोन करके रोहन को सूचना दे तो उसका परिणाम क्या होगा, ज्ञात नहीं । रोहन सुनकर आता है कि नहीं और आता है तो क्या प्रतिक्रिया होती है उसकी। सबसे बड़ी बात कुछ दिनों में ही उसकी शादी होने वाली है । हे भगवान! शालिनी आंटी और शिखा को जब यह बात पता चलेगी तो कितना क्रोध आएगा । ...और पढ़े

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नियति - 6

दीपा जब शिखा के कमरे में पहुंची तो शिखा सो रही थी। दीपा ने उसे उठाया और बताया कि और सुषमा मासी आए हुए हैं । शिखा को सुनकर आश्चर्य हुआ। दीपा ने आगे बताया कि शालिनी उसकी और रोहन की शादी के लिए मान गई है। शिखा हतप्रभ रह गई, मां ने वादा किया था साथ देने का, तो क्या ऐसा साथ देने वाली थी । उसको रोहन के सुपुर्द कर के अपना पल्ला झाड़ रही थी । रोहन के लिए उसके मन में कितनी घृणा थी कितना अकडू इंसान था एक बार भी माफी मांगने नहीं आया। ...और पढ़े

7

नियति - 7

गृह प्रवेश करते हुए शिखा का दिल कच्चा सा हो रहा था । जल्दबाजी में सिलाए गए ब्लाउज में बहुत असहज महसूस कर रही थी। साड़ी भी बहुत भारी थी, एक तो साड़ी पहने की आदत नहीं और जब पहनी तो इतनी भारी की लटकी जा रही थी। गर्मी के कारण पसीना पसीना हो रही थी । सुबह से कुछ खाया भी नहीं था पित्त से बन रहे थे । उसे लग रहा था घर में और भी रस्में करनी होंगी, कैसे कर पाएगी। शालिनी उसकी हालत समझ रही थी लेकिन सुषमा से बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। लड़की अब पराई लगने लगी थी, जैसे उसका शिखा पर कोई हक नहीं रह गया था। ...और पढ़े

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नियति - 8

रोहन के अनुपस्थिति में शालिनी का कार्यक्रम बेटी के घर ठहरने का था। वैसे तो शांति और सेवक राम घंटे घर में ही रहते थे । उनके कमरे घर के पीछे बने हुए थे । लेकिन शादी के बाद शालिनी को बेटी से मिलने का मौका नहीं मिला था। इसलिए दोनों एक दूसरे का साथ पाकर बहुत खुश थी। शिखा को स्वस्थ देकर शालिनी को संतुष्टि मिली । शादी के दिन जल्दबाजी में शालिनी ने घर ठीक से देखा नहीं था, अब एक-एक कमरा देखा तो पता चला बेटी कितने वैभव भरे घर में पहुंच गई है। लोग भी कितने अच्छे हैं। ...और पढ़े

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नियति - 9

प्रातः कार्यालय जाने के लिए रोहन तैयार हो रहा था। तीन दिन पहले शिखा को डॉक्टर को दिखाया था। कहा था एक हफ्ते का समय अभी लग सकता है, लेकिन निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकते। अब उसे चिंता हो रही थी शिखा को अकेले छोड़कर जाने में । शालिनी शाम तक आ जाएगी तो उसे बेफिक्र हो जाएगी। तभी शांति आई चिल्लाती हुई, भैया जी भाभी जी को दर्द शुरू हो गए हैं। उसके बाद जिस गति से सब काम हुए रोहन को लगा वह होश में नहीं था। ...और पढ़े

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नियति - 10

इधर रोहन और शालिनी गाड़ी में बैठकर भोपाल के लिए रवाना हो गए थे । रास्ते में इधर-उधर की करते रहे शालीनी ने अपने मन की बात कहीं, शिखा बहुत खुश है, सारा दिन सुषमा जी और तुम्हारे बारे में बात करती रहती है। तुम दोनों को पुरानी बातों को भूल कर जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए। ...और पढ़े

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नियति - 11

शिखा आश्वस्त नहीं थी, वह रोहन के दिल को और टटोलना चाहती थी। लेकिन रोहन के होठ उसके गालों चूमते हुए उसके कानों तक पहुंच रहे थे। उसकी बाहें कसती जा रही थी और शिखा का दिल अपना होश खोता जा रहा था। लेकिन दिमाग चाहता था पहले कुछ बातें और साफ हो जाए। उसने धीरे से रोहन को धकेलते हुए कहा, जब एहसास हुआ रिया की शादी की रात क्या हुआ था तो कैसा लगा था । ...और पढ़े

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