"चलो " राहुल ने कहा... "बैठो, अगर तुम आयी हो, तो मेमसाहब अजली ऐसा करो " चुप हो गया राहुल।जॉन को एक टक देख कर बोलता हुआ बोला, "अजली ------"फिर चुप हो गया।"देख जॉन को छोड़ दिया तुमने, मुझे भी, अब हम ये परिवार मर जाए कुछ भी हो, तुम्हारा हक़ नहीं किसी पर भी।" चुप थी अजली। कोट ने जो किया था वो सब परतक्ष था प्रगट रूप मे हाथ काँप रहे थे, अजली के। जॉन ने कहा, "तुम बैठो, काफ़ी वही ब्लेक पीती हो जा....."बाबा जी की तरफ देखते हुए राहुल बोला।"नहीं "उसने बाहो से निकलाते हुए पूछा।"ये सब कया हुआ!!" अजली ने सहमते हुए कहा। -
Full Novel
जंगल - भाग 1
"चलो " राहुल ने कहा... "बैठो, अगर तुम आयी हो, तो मेमसाहब अजली ऐसा करो " चुप हो गया को एक टक देख कर बोलता हुआ बोला, "अजली ------"फिर चुप हो गया।"देख जॉन को छोड़ दिया तुमने, मुझे भी, अब हम ये परिवार मर जाए कुछ भी हो, तुम्हारा हक़ नहीं किसी पर भी।" चुप थी अजली। कोट ने जो किया था वो सब परतक्ष था प्रगट रूप मे हाथ काँप रहे थे, अजली के। जॉन ने कहा, "तुम बैठो, काफ़ी वही ब्लेक पीती हो जा....."बाबा जी की तरफ देखते हुए राहुल बोला।"नहीं "उसने बाहो से निकलाते हुए पूछा।"ये ...और पढ़े
जंगल - भाग 2
----------------------- अंजाम कुछ भी हो। जानता हु, "शांत लहरें कब तूफान का रुखले" कोई वक़्त की बद नसीबी नहीं योग था। जिंदगी दो धार की छुरी होती है। दो तरफ से काट देती है। तुम जो भी समझते हो, वो बहुत कम है।तुम जिंदगी के पंने किताब से जितने फरोलेगे।कम पड़ते जायेगे।जिंदगी ब्रेक डाउन है।मतलब किसी को हम इतना प्यार करते है, कभी जान से बड़ के कुछ भी नहीं होता।जगल एक ऐसा ससकरण है।राहुल एक ऐसा पात्र है, जो जीवन के साथ चलता जाता है। पटरी है, एक गाड़ी है.... बिखर जाये तो सबटूट जाता है, यही जिंदगी ...और पढ़े
जंगल - भाग 3
-------------"मुदतों बाद किसी के होने का डर ---" कौन सोच सकता है, वो शख्स जो कभी शिकार नहीं हुआ का।"हाँ ---" बात कर रहा हुँ, राहुल के आस्तित्व की...माया एक ऐसा जिंदगी मे अल्फाज़ था। न मिटा सकते थे, न पंने पे लिखा रह सकता था।आज गिफ्ट लाया था -------कयो?आज जन्म दिन था। माया था। उसे पसंद था, डेरी मिल्क की कितनी चॉकलेट और गुलाबी कवर गाउन।होटल 219 मे ठहरी थी।"तुम्हे निगाह मे उतार लू, बस यही मुराद है।" माया ने उसकी बाहो मे झूलते कहा।"दीवानो की हालत परवानो जैसी है, शमे आ जला दें। "राहुल ने झटके से ...और पढ़े
जंगल - भाग 4
जिंदगी एक तरफा नहीं दो तरफा और कभी ब्रेक डाउन तो कभी अप लग जाता है। जो सोचते है होता नहीं। कयो नहीं होता?पांच सौ करोड़ , बेटा जॉन के आगे कुछ भी नहीं थे। शायद पता नहीं राहुल सोचता कया कर जाता मै।अचानक ये कया, माधुरी। भागी हुई आयी। जॉन उसकी बाहो मे वो बे होश हालत मे उसे सहलाती और चूमे जा रही थी। कुछ भी उसे जैसे पता नहीं था। कौन देख रहा है कौन नहीं। राहुल बिलख पड़ा। जॉन ने छोटे कोमल हाथो को चुम रही थी।"कया हुआ मेरे बेटे को...."एकसार रोरही थी।"नजर लग गयी।"माँ ...और पढ़े
जंगल - भाग 5
------(जंगल )------- कया सोचा था कया हो गया। वक़्त ऐसे कयो करता है। तुम आपना मान लेते हो दिल से मन से, वो सदमा कयो देता है, माधुरी के लिए कोट का फैसला "अचनचेत मौत थी " बशर्ते सब कुछ उसका भीड़ मे गुम हो चूका था।राहुल एक ऐसा शक्श था, जिसे बस उसका दादा ही जानता था। और खुद राहुल।परवार और बिजनेस।माधुरी की जितनी शादी प्रति उच्च तम प्रतिकिर्या थी।साहरणीय थी... वो पहली रात से आज तक यही समझ नहीं सकी ...और पढ़े
जंगल - भाग 6
कहने को शातिर दिमाग़ वाला स्पिन निशाने बाज़ था।प्लान था। माया को किस वक़्त सबक दें दिया जाये।जिस वक़्त बीस मंजिले फ्लेट मे किसी को कुछ कहने के लिए या गुफ़्तगू करने के लिए आयी थी।स्पिनर निशाने बाज़ किस और से आयी, और चली गयी। ये भयानक तरतीब किस की बनाई माहौल मेअजनबी गरमाहट थी। कोई भी नहीं जानता था।ये निशाने का दायरा बीस फुट था। जिसमे कोई आता जाता नहीं हो, बे तरतीब निशाना हुक्म की बेपरवाही थी।एक नहीं बहुत थे निशानेबाज़.... स्पीनर बंदूक और ...और पढ़े
जंगल - भाग 7
कुछ जंगली पन साथ पुख्ता होता है, जो कर्म किये जाते है। पुराना लेनदेन समझ सकते हो।माधुरी चुप थी, दिनों से.... उसे बेहद अफ़सोस था, शादी मे राहुल आया, पर उसका बेटा जॉन नहीं।कयो उसके साथ ही ऐसा हुआ??? ----"कितनी बदनसीब हुँ " कहा उसने।राहुल साथ मे बैठा कोल्ड ड्रिंक पी रहा था... उसने पूछा "जॉन को ले कर कयो नहीं आये।"राहुल को कुछ अच्छा नहीं लगा।"उसने उसकी सहेली को कहा "बत्तमीजी अगर करनी ही थी, तो इस कदर घर बुला के नहीं करते।" ------"मैं समजी नहीं। "उसने माधुरी से परिचत होकर कहा।तभी गोली चलने की ...और पढ़े
जंगल - भाग 8
अंजली कभी माधुरी, लिखने मे गलती माफ़ होंगी, नहीं, नम्बर कट गए। कया से कया हो गया उपन्यास, टूट सलाब गया। थोड़ी सी गलती, कितना कहानी को रिस्क दें गया।अब कहा कहा कया करू। कया कहु। मुझे भूलने की बीमारी है, ये तो मज़ाक़ बन गया।अजली कभी माधुरी ------एक साथ कभी नहीं दिखे।कौन माँ होंगी, माधुरी जा अजली। माधुरी। मिस्टेक किसे नहीं होती। ईसाई वर्ग से बिलोग करता ये उपन्यास, श्रेष्ठ है। भावना शुद्ध है। तलाक हो गया हो, और माँ रोक नहीं पायी। आँखो मे आंसू लिए, जॉन के ...और पढ़े
जंगल - भाग 9
---"शुरुआत कही से भी कर, लालच खत्म कर ही देता है। "कहने पे मत जाना, कुछ जीवन मे घटक ही तौफीक होती है। बर्दाश्त कितनी देर करोगे। ____"राहुल मेरे बेटे भूलने को, अरसे लगे गे।" बाबा जी (दादा जी ) ने आख़री सास लेते हुए आपनी चेयर पर ही दम तोड़ दिया था। ये एक झटका था, एक ओर.... मिलो के मजदूरौ के घर खाना राहुल ने भेजवा दिया था। दस हजार मजदूर राहुल के साथ खडे थे। लीडर मजदूरों का बिमल कांत था। उसकी बेटी ...और पढ़े
जंगल - भाग 10
बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे रखती है। पता नहीं हम एक दूसरे कब के जानते है, कोई नहीं जानता, जैसे कुछ रह गया, जो हम मिल ले, काम पूरा करे। इसका दंड युद्ध चलता ही रहता हैऐसे ही राहुल वो लड़की को मिल कर जैसे माधुरी के चित्र मे खो गया। हुँ भु वैसे ही , एक पत्नी एक लड़की... जो इस दुनिया मे नहीं, पर कारज करता भी खूब शतरज खेलता है।हैरान हुँ, "कितना ही " वो भावक सी एक मूर्त सी लगी थी। नैन नक्श एक दम कॉपी थे। कोई ...और पढ़े
जंगल - भाग 11
(-----11------)जितना सोचा था, कही उनसे जेयादा लहरों का उठना हो गया था। कोई इस दुनिया मे आप के बारे सोचता, एक माँ के सिवाए, बिना मतलब के।बाकी दौलत से बधी दुनिया, भागम भाग मे कया कया सोचती रहती है... कोई नहीं जानता... खैरियत उसी मे है,तुम आपने आप मे ही रहो। बस वो ही करो, जो मन के बुलद खाब कराये।---------" माँ तुम छोड़ के कभी मत जाना ---" ये भोले से शब्द जॉन के उसकी बगल मे लगते हुए कहा था।-------" कया हुआ बेटा, मैं तुम्हे ...और पढ़े
जंगल - भाग 12
( 12) -------------------------- थमी सी रात, जागते लोग, चलती ट्रेने, बसे, कारे.... पता नहीं दुनिया कब सोती है। कब शहर सोता है, पूछता हुँ कभी आपने आप से, ज़िन्दगी के मापदंड बस यही पैसा कमाना, और पार्टियों मे उडाना ही होता है। सोने की टेबलट खानी जरुरी हो गया है। इसके बिना नींद नहीं, खाब कया आये पता ही नहीं।या छोटा सा पेग.... चुस्की से ...और पढ़े
जंगल - भाग 13
( 13) ----------------------कपनी मे अंदर गए। साथ मे सगीना थी। राहुल उसे काम दिखा रहा था। तभी "मेमसाहब " किसी ने कहा। राहुल को लगा, जिसने कहा उसे अंदर बुला लिया जाये।राहुल और सगीना बैठे थे, तभी वो आदमी अंदर आया। मुस्कराते हुए राहुल ने पूछा, "मेमसाहब कैसे दिखी आपको, मोहन दास जी।"मोहन दास की सीटी बीटी गुम। "घबराओ नहीं "राहुल ने कहा। " सच बताओ, शायद भटके हुए जुड़ जाए। " ये सुनकर ...और पढ़े
जंगल - भाग 14
( जंगल ) 14.----------- रीना कार मे तेज स्पीड मे, कुछ पिए भी थी, पर नहीं लग सकता था, ये वो एक दम से ब्रेक मार के आगे स्टेरिंग घुमा के यूँ टर्न किया, कि एक भाई के सड़क पे छोले खिलर गए। जो सिर पे रखे थे। पर नीली छत को देखके कहने लगा, "कुछ अक्ल बक्श इनको "वही कार रुकी हुई थी, ऑफिस राहुल के सामने।वही से निकल रहे थे, रीना और राहुल और उनका साथी टकला रंगीला... जिसके साथ रीना कि परसो ...और पढ़े
जंगल - भाग 15
जंगल (15) -------------कोट की तारीख़ अगले महीने की डली थी, अक्टूबर का महीना था, हल्की बरसात.... पहाड़ो की उच्ची कतारे... कुछ गिरा हो जैसे कार पे... रुकी एक दम से, बर्फ पड़नी शुरू थी... शिमले का चित्र था, सड़को पर चरवाहा बकरिओ को चार रहा था। नीचे खायी थी भरपूर मात्रा मे... गहरी इतनी... पूछो मत।वही गाड़ी रोक कर उची पहाड़ी को देखने लगा था, कभी बहुत मन खिलता था, आज नहीं, पता नहीं कया हो गया ...और पढ़े
जंगल - भाग 17
----(17)---सूरज दुपहर को कुछ गर्मी दें रहा था, इतनी ठंड नहीं थी, वो भी दिल्ली का, जो दिल वाले रीना को फोन पर कुछ ऐसा समझा ता है, दूर से कुछ इशारे ही नजर आते थे, ये फोन कनाट प्लेस के बूथ से हो रहा था।राहुल दरवाजा खोल निकल जाता है, वही जिसका उसने अड्रेस दिया था। बेकरी बॉयज पर आ कर लाल रंग कि गाड़ी रूकती है।रीना के साथ उस गाड़ी मे वो उसके फ्लेट मे जाता है, जो कभी यहाँ इकठे सब कोई न कोई उत्स्व मनाते थे।लॉक बड़ी मुश्किल से खुलता है। दरवाजा खुला, दोनों अंदर आये। ...और पढ़े
जंगल - भाग 16
--------(16)------ कार वही सड़क पर ख़डी रही थी। उसने रीना को वही नम्बर पे फोन जो गुप्त था। किसी सीमा नाम की लड़की पर चलता था, गुप्त फोन... "हेलो "उधर से कोई आवाज़ नहीं.... राहुल को फिर रिंग टोन सुनी।"हेलो, कैसे हो राहुल।""कहा हो तुम "----"बताना भी जरुरी नहीं समझा तुमने।" दिल खोल के रीना ने डाट लगायी जैसे।" मै तुझे परायेया लगी,... राहुल ने कहा " मै बिज़ी हुँ, भागा नहीं हुँ। ""कल टकले को छोड़ कर dsp से मेरी बात करा देना।" "वो कल मेरे साथ नहीं.... हाँ तुम किधर हो...""मैं ...और पढ़े
जंगल - भाग 18
-----------------------(18)------------------------ पुलिस क़ी छान बीन, राहुल के घर जयादा, या दिल्ली के कनाट प्लेस एरिया क़ी,Dsp तुषार, और शिमला क़ी पुलिस क़ी एक आवाज़ मे जोर था, वो हल कैसे हुआ ये राहुल ही जानता है।उसकी कार और बच जाने क़ी स्वाबना, वक़्त क़ी खेल, तुषार का बीच यारी का मतलब समझना... जेल से, केस से आपनी ग्रंटी पे रफा दफा करना, मेहरबान हो, मालिक तो सब कुछ अहसान समझ के उतार भी देता है। कभी तुषार को, कभी ऐसी परिस्थिति मे हेल्प क़ी थी, दिल खोल कर, ...और पढ़े
जंगल - भाग 19
-----(19)----- सगीना बरसात का मौसम निहार रही बालकोनी मे ख़डी। सड़क का नजारा, कया नजारा था, पहाड़ीयों के बीच जैसे ख़डी हो और भीग रही हो, एक एक बून्द जैसे उसके ऊपर और वो सिकुड़ रही हो.... बस ये खाब था, जो जल्द ही जॉन ने तोड़ दिया... पीछे से जोर से माधुरी उर्फ़ सगीना को बाहो मे भींच लिया, " माँ तुम हैरान हो " सगीना उल्टा प्रश्न सुन के ...और पढ़े