रागिनी का जन्म एक ऐसी रात को हुआ, जो माँ दुर्गा के पूजन के दिनों में ख़ास मानी जाती है—नवरात्रि का चौथा दिन। रात के ठीक तीन बजे, जब चारों ओर सन्नाटा था और रात अपने पूरे अंधकार में थी, तब एक नई किरण इस संसार में आई थी। उस किरण का नाम रखा गया—रागिनी। रागिनी के माता-पिता के लिए यह पल सपनों से भी सुंदर था। वह उनकी पहली संतान थी, जो एक नए उजाले का प्रतीक बनकर उनके जीवन में आई थी। उसका जन्म किसी आशीर्वाद से कम नहीं था, और इस शुभ मुहूर्त ने इस क्षण को और भी विशेष बना दिया। माँ दुर्गा की शक्ति के दिनों में जन्मी रागिनी अपने साथ एक अनोखा प्रभाव लेकर आई थी, मानो उसमें किसी देवी का साकार रूप हो।

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जिंदगी के पन्ने - 1

रागिनी का जन्म एक ऐसी रात को हुआ, जो माँ दुर्गा के पूजन के दिनों में ख़ास मानी जाती का चौथा दिन। रात के ठीक तीन बजे, जब चारों ओर सन्नाटा था और रात अपने पूरे अंधकार में थी, तब एक नई किरण इस संसार में आई थी। उस किरण का नाम रखा गया—रागिनी। रागिनी के माता-पिता के लिए यह पल सपनों से भी सुंदर था। वह उनकी पहली संतान थी, जो एक नए उजाले का प्रतीक बनकर उनके जीवन में आई थी। उसका जन्म किसी आशीर्वाद से कम नहीं था, और इस शुभ मुहूर्त ने इस क्षण को ...और पढ़े

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