चन्दनगढ़ पहाड़ की हसीन वादियों के बीच बसा एक छोटा सा राज्य था । जिसके राजा जयदेव सिंह थे जो अपने प्रजा को अपने पुत्र की तरह चाहते थे । राजा जयदेव सिंह के राज्य में प्रजा अपने अच्छे से सुखपूर्वक दिन गुजार रही थी । किसी को कोई दुख नही था। राजा जयदेव सिंह एक पुत्र था । जिसका नाम राजकुमार धरमवीर था । जो प्रजा में सबका चहेता था । पूरी प्रजा राजकुमार को बहुत चाहती थी । एक दिन राजा जयदेव सिंह अपने राज्य के जंगल मे शिकार करने के लिए गए हुए थे । उनके साथ चार सैनिक और भी थे जो राजा के रक्षक थे ।
Full Novel
तिलिस्मी कमल - भाग 1
चन्दनगढ़ पहाड़ की हसीन वादियों के बीच बसा एक छोटा सा राज्य था । जिसके राजा जयदेव सिंह थे अपने प्रजा को अपने पुत्र की तरह चाहते थे । राजा जयदेव सिंह के राज्य में प्रजा अपने अच्छे से सुखपूर्वक दिन गुजार रही थी । किसी को कोई दुख नही था।राजा जयदेव सिंह एक पुत्र था । जिसका नाम राजकुमार धरमवीर था । जो प्रजा में सबका चहेता था । पूरी प्रजा राजकुमार को बहुत चाहती थी ।एक दिन राजा जयदेव सिंह अपने राज्य के जंगल मे शिकार करने के लिए गए हुए थे । उनके साथ चार सैनिक ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 2
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से ही प्रकाशित भाग अवश्य पढ़ें ....मूर्ति राजकुमार से बोली - तुम्हे तिलिस्मी पत्थर क्यो चाहिए ? "राजकुमार धर्मवीर बोला - " उस तिलिस्मी पत्थर से एक तिलिस्मी द्वार खुलेगा जिसमे तिलिस्मी कमल रखा हुया । जिस कमल से मेरे पिता जी ठीक हो जाएंगे और वन देव भी जीवित हो जाएंगे जिन्हें मेरे पिता जी मार दिया है क्यो की वह उस वक्त शेर के रूप में थे । "मूर्ति बोली - " वह तिलिस्मी पत्थर मेरे पास था लेकिन अब नही है उसको जादूगर शक्तिनाथ मुझसे छीन कर ले ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 3
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित भाग अवश्य पढ़ें -----------राजकुमार धरमवीर का घोड़ा बादल सरपट चला जा रहा था । तभी अचानक राजकुमार को एक सुंदर महल नजर आया । राजकुमार ने घोड़े का रुख महल की तरफ कर दिया । क्योकि राजकुमार समझ गया था कि यह महल अवश्य ही जादूगर शक्तिनाथ का है ।घोड़ा जैसे ही महल के करीब पहुंचा , वैसे ही महल के अंदर से कई विचित्र सी शक्ल सूरत के व्यक्ति दौड़ते हुए निकले । उनके हाथों में भाले थे । उन्होंने राजकुमार पर भाले फेंकने शुरू कर दिए । ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 4
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ..... लोमड़ मानव राजकुमार को गुर्राते हुए कहा - " पहले मुझसे तो मिलो मूर्ख मानव । "इतना कहने के बाद लोमड़ मानव ने राजकुमार पर छलांग लगा दी । राजकुमार सावधान था । वह वैशाली का हाथ छोड़कर फुर्ती से एक तरफ हट गया ।और अपनी तलवार म्यान से निकाल ली ।लोमड़ मानव का वार खाली चला गया । उसने दोबारा राजकुमार पर छलांग लगाई । अबकी राजकुमार ने अपनी तलवार आगे कर दी । तलवार लोमड़ मानव के सीने के पार हो गई ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 5
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें --------राजकुमार तेजी से पूर्व दिशा ओर चल पड़ा । राजकुमार सात दिन और सात राते बिना विश्राम किये अपना घोड़ा दौड़ाता रहा । अपने रास्ते मे आने वाले सभी जंगलों , पहाड़ों , नदियों , खाइयों और घाटियों को पार करता हुया आठवें दिन प्रातः एक हरे भरे सुंदर वन में जा पहुंचा ।आगे रास्ता बंद था । राजकुमार के सामने इतना ऊंचा पर्वत था जिसे पार करना राजकुमार के लिए असम्भव था ।इतनी लंबी यात्रा करने के बाद राजकुमार काफी थक गया था । ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 6
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें --------------------राजकुमार धरमवीर की अगली मंजिल लाल मोतियों की माला हासिल करना । राजकुमार धरमवीर जंगल मे तो वापस आ गया था लेकिन अब यह नही समझ पा रहा था कि उसकी मंजिल किस दिशा की ओर है । राजकुमार धरमवीर जंगल मे एक दिशा की ओर चल पड़े ।चलते चलते राजकुमार धरमवीर जब उस जंगल के बाहर निकला तो उसी समय वातावरण सांपो के फुफकारों से गूंज उठा ।राजकुमार ने चौंक कर इधर उधर देखा तो सैकड़ो नाग उसे नजर आए ।वह खौफनाक एवं लंबे ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 7
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ----------------------कपड़े के पीछे किसी इंसान नही बल्कि एक लोमड़ी का चेहरा था । उस लोमड़ी ने अपनी थूथनी उठाकर राजकुमार की ओर देखा और जादूगरनी से इंसानी आवाज में कहा - " मां .... राजकुमार मुझे देखकर डर क्यो गए ? क्या मैं सुंदर नही हूँ ? "जादूगरनी ने आगे बढ़कर लोमड़ी को प्यार करते हुए कहा - " नही बेटी यह डरा नही है बल्कि तुम्हारी सुंदरता देखकर चकित रह गया है । इस राजकुमार से अच्छा और कोई नही हो सकता है इसलिए ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 8
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें -–--------------–-सुकन्या परी और राजकुमार धरमवीर में बैठकर परीलोक की ओर चल दिये । राजकुमार धरमवीर सुकन्या परी के गोद मे अपना सिर रख कर सो गया । सुकन्या परी राजकुमार को एक टक देख रही थी ।राजकुमार सुकन्या परी की गोद मे सर रखे कब तक सोता रहा इसका पता ही नही चला । लेकिन जब उसने आंखे खोली तो अंधेरा हो चुका था । राजकुमार की आंख भी अपने आप नही खुली थी । बल्कि सुकन्या परी के जगाने से नींद टूटी थी ।" ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 9
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें .....................गुफा के बाहर आने के राजकुमार ने राहत की सांस ली । अब वह खतरे से बाहर था । कालीन अब तेज गति से उड़ रहा था और काफी ऊंचाई पर था । वह काफी समय तक उड़ता रहा और अंत मे एक ऊंची चट्टान के पास जाकर रुक गया ।राजकुमार कालीन से नीचे उतर आया । यह काफी ऊंचा एक चट्टानी टीला था , जिसका ऊपरी भाग समतल था । और यँहा से टापू का अधिकांश भाग साफ दिखाई दे रहा था ।राजकुमार टीले ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 10
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ................राजकुमार धरमवीर उड़ता टापू से फल लेकर परीलोक में वापस आ गया । जहाँ सुकन्या परी राजकुमार का इंतजार कर रही थी । राजकुमार को अपने पास देखकर सुकन्या परी मन ही मन बहुत खुश हुई और साथ मे राजकुमार भी सुकन्या परी को देखकर धीरे धीरे मुस्कुराने लगे ।अब राजकुमार को तिलिस्मी कमल तक पहुंचने के लिए केवल स्वर्णपँख चाहिए थे । जिसे सुकन्या परी बता सकती थी कि वह कहाँ मिलेगा ?राजकुमार ने सुकन्या परी से स्वर्णपँख के विषय मे पूछा तो सुकन्या ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 11
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ....................... ️️️️️️️राजकुमार की सभी इन्द्रियाँ हो उठी । उसे लगा कि मानो खतरा उसके सर पर है ।" बचाओ........ बचाओ.......राजकुमार ....तांत्रिक कपाली .….ई..….ई....ई......" राजकुमार के कानों में गंधर्व नीले गिद्ध की घबराई हुई आवाज सुनाई दी और अंत मे ऐसा लगा मानो किसी ने उसका गला दबा दिया हो , जिससे गंधर्व नीले गिद्ध की आवाज घरघरा कर रह गई थी ।राजकुमार ने अपनी तलवार म्यान से निकाली और चारो तरफ सतर्क नजरो से देखा । उसे कुछ भी नही दिखाई दिया।न अदृश्य पक्षी , ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 12
इस भाग को समझने के लिए इसके इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ..….............अचानक तहखाने का द्वार और उसमे एक नर कंकाल प्रवेश किया । राजकुमार ने तुरन्त निर्णय लिया और बेहोश बनकर लेट गया । नर कंकाल सीधा राजकुमार के पास पहुंचा और जैसे ही राजकुमार को उठाने के लिए झुका , वैसे ही राजकुमार ने अपनी चमत्कारी तलवार से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया ।अब राजकुमार आजाद था । वह तेजी से तहखाने के बाहर आया और सीधा उस स्थान पर आ पहुंचा जहाँ आंखे बंद किये हुए तांत्रिक कपाली अपना अनुष्ठान कर ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 13
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ........................वन देवी ने राजकुमार धरमवीर तिलिस्मी कमल तक पहुंचने के लिए क्या करना है? कैसे करना है? और पांचों तिलिस्मी वस्तुओं का उपयोग कैसे करना है । यह सब बताने के बाद वन देवी राजकुमार से बोली - " तिलिस्मी कमल तक पहुँचने के लिए बहुत से खतरे मिलेंगे इसलिए उन सभी खतरों से निपट के लिए मैं तुम्हे अपनी शक्तियां देती हूं । ये शक्तियां तुम्हारी मदद करेगी । "इतना कहने के बाद वन देवी ने अपनी आंखें बंद की और अपने दांए हाथ ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 14
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें । .............................राजकुमार धरमवीर इच्छाधारी नाग बोला - " ठीक है , उस रक्षक को मारने के लिए आप भी साथ मे चलना लेकिन पहले ये तो बताओ उसे कैसे मारा जा सकता है ? "इच्छाधारी नाग राजकुमार से बोला -" वह एक तिलिस्मी द्वार का रक्षक है उसे मारना आसान नही है । वह तभी मरेगा जब उसके शरीर मे एक साथ पांच जगहों में पांच तीर मार दिए जाएं । और वह पांच जगह है , उसके दोनो आंख , माथे के बीचों बीच ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 15
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ............….....️️इच्छाधारी नाग नागिन को विदा के बाद राजकुमार धरमवीर तिलिस्मी महल में प्रवेश कर गया । महल के अंदर बहुत ही सुंदर नक्काशी थी ।राजकुमार धरमवीर महल की सुंदरता देखते हुए धीरे धीरे तालाब की ओर बढ़ रहे थे । तभी अचानक राजकुमार के सामने से एक तीर निकल कर उसके बायीं ओर की दीवार में जा लगा ।अपने सामने से अचानक तीर को जाते देखकर राजकुमार चौंक गया । और महल की सुंदरता को छोड़ते हुए सावधानी पूर्वक आगे बढ़ने लगा ।राजकुमार ने जैसे ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 16
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ....................पत्थर की दुनिया को धूमकेतू मुक्त करके राजकुमार तिलिस्म के दूसरे द्वार के अंदर पहुँच गया । जंहा पर ग्यारह चुड़ैलों का राज था । राजकुमार जंहा पर प्रकट हुया था वह जगह एकदम सुनसान थी । दूर दूर तक केवल अंधेरा ही नजर आ रहा था ।राजकुमार ने अपनी जादुई शक्ति से उस जगह पर रोशनी किया । तो उसे अपने सामने एक खंडहर नजर आने लगा । राजकुमार सावधान की मुद्रा में उस खंडहर की ओर बढ़ने लगा ।राजकुमार जैसे जैसे उस खण्डहर ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 17
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें --------------------------चित्रलेखा राजकुमार को अपनी अंगूठी चुड़ैल रानी के जल महल की ओर चली गयी । राजकुमार अंगूठी की ओर देख रहा था और उसके हरे रंग में बदलने का इंतजार कर रहा था ।लगभग एक घंटे बीत गए , लेकिन अंगूठी के नग का रंग नही बदला । राजकुमार काफी परेशान हो उठा । उसके मन मे तरह तरह के विचार उठने लगे ।चुड़ैल रानी महायोगिनी ने चित्रलेखा की बात मानी होगी या नही , या फिर चित्रलेखा को कैद कर लिया । यही सब ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 18
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ----------------राजकुमार मानवरूपी पेड़ के कैद था । कैद से छूटने के लिए राजकुमार जितना छटपटाता , उतनी ही तेजी से मानवरूपी पेड़ राजकुमार को अपने जड़ो और शाखाओं में जकड़ता जा रहा था । राजकुमार को ऐसा लग रहा था मानो उसकी हड्डियों को किसी ने तोड़ दिया हो । राजकुमार दर्द की वजह से कुछ समझ नही पा रहा था कि वह क्या करे कि इस मानवरूपी पेड़ से छुटकारा मिल जाये ।तभी अचानक मानवरूपी पेड़ दर्द से कराहने लगा । राजकुमार आश्चर्य चकित ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 19
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें -----------------राजकुमार उत्तर दिशा की ओर चला जा रहा था । लगभग आधे घंटे चलने के बाद राजकुमार को एक पहाड़ी नजर आने लगी । जो दूर से दिखने में काले रंग की दिखाई दे रही थी । राजकुमार अब और तेजी से कदम बढ़ाने लगा ।राजकुमार उस पहाड़ी के नजदीक पहुंच गया । राजकुमार पहाड़ी पर चढ़ने के लिए पहला कदम ही रखा कि पहाड़ी पर जोर से बारिश शुरू हो गयी ।राजकुमार बिना घबराए हुए पहाड़ी में चढ़ने लगा । राजकुमार लगभग आधी पहाड़ी ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 20
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें......….................राजकुमार लाल पहाड़ी से उत्तर दिशा ओर उतरने लगा । थोड़ी देर बाद राजकुमार लाल पहाड़ी से उतरकर जलाशय के नजदीक पहुंच गया । जो सागरिका का निवास स्थान था।राजकुमार जब जलाशय के पहुंचा था । तब जलाशय के पानी का रंग लाल था । राजकुमार जलाशय में तभी प्रवेश कर सकता था जब जलाशय के पानी रंग नीला हो ।राजकुमार जलाशय के किनारे बैठकर पानी को नीले रंग में बदलने का इंतजार करने लगा । राजकुमार को बैठे काफी देर हो गए लेकिन पानी का ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 21
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें .........................राजकुमार सागरिका के बताए अनुसार के पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा । डंकिनी जिसका शरीर बिच्छू के आकार का बना हुया था और उसके शरीर मे इतना जहर था कि उसे छूने मात्र से किसी के प्राण निकल सकते थे ।राजकुमार पूर्व दिशा की ओर बढ़ता चला जा रहा था । तभी राजकुमार को एक जंगल नजर आने लगा । राजकुमार मन मे सोचा शायद यही डंकिनी का जंगल है जो इस जंगल के बीचों बीच निवास करती है ।राजकुमार सतर्क हो गया । ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 22
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें -------------------------------राजकुमार डंकिनी से रक्तिका का जानने के बाद काली पहाड़ी की ओर उड़ चला । दक्षिण दिशा में दस कोस उड़ने के बाद राजकुमार को एक पहाड़ी नजर आने लगी । राजकुमार अनुमान लगाया कि यही काली पहाड़ी हो सकती है ।राजकुमार काली पहाड़ी में उतर गया । काली पहाड़ी एक दम सुनसान बंजर सी दिख रही थी । ऐसा लग रहा था कि उस पहाड़ी पर मनहूसियत का साया छाया हो।राजकुमार धीरे धीरे पहाड़ी में आगे बढ़ रहा था । उसे कोई भी नजर ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 23
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से ही प्रकाशित सभी भागों को अवश्य पढ़े .......... कल्कि राजकुमार बेहोश करके महायोगिनी के जलमहल में ले आया । इसके बाद कल्कि राजकुमार को होश में लाया और उसको बंधक बनाकर महायोगिनी के सामने लाकर खड़ा कर दिया । और फिर महायोगिनी से बोला - " स्वामिनी यह राजकुमार धरमवीर है जो आप को कुछ बताना चाहता है । इसलिए इसे मैं बंधक बनाकर तुम्हारे पास ले आया हूँ । "महायोगिनी कल्कि को गुस्से से चिल्लाते हुए बोली -" अरे नालायक , इसे तू बंधक बना कर नही लाया बल्कि ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 24
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ...........................राजकुमार तिलिस्मी महल के जिस में उपस्थित था उस कक्ष से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नही दिख रहा था।तभी राजकुमार की नजर दीवार कोने में बनी एक खूंटी पर गई जो नीचे की ओर मुड़ी हुई थी।खूँटी के नीचे चारो जानवर गाय , हाथी , घोड़ा और शेर के चिन्ह बने हुए थे। राजकुमार धरमवीर के दिमाग मे तरह - तरह के विचार उत्पन्न होने लगे , क्योकि इसी तरह के चित्र कमरे के चारो दीवार में बने है।राजकुमार धर्मवीर चित्रों के बारे ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 25
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ............राजकुमार के शरीर मे वह तेजी से कसाव करते हुए पानी के अंदर घसीट रही थी । राजकुमार का पानी के अंदर दम घुटने लगा । तभी अचानक राजकुमार के शरीर से आरीदार चकरी अस्त्र निकल आये और भुजा को काट दिया ।राजकुमार को मुसीबत में देखते हुए वनदेवी की जादुई शक्ति आरीदार चकरी स्वयं प्रकट हो गयी थी । राजकुमार की रक्षा करने के लिए ।राजकुमार का शरीर जैसे कसाव से छूटा वैसे ही राजकुमार तेजी से पानी के सतह पर पहुंचा और सांस ...और पढ़े
तिलिस्मी कमल - भाग 26 (अंतिम भाग)
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें .........राजकुमार धरमवीर ब्रम्ह राक्षस से के लिए तैयार था। ब्रम्ह राक्षस ने राजकुमार को रोकते हुए बोले - " रुको राजकुमार मुझे तुमसे नही लड़ना है । मुझे तुम्हारे बारे में सब मालूम है । "राजुकमार बोले - " मुझे तो यह जानकारी थी कि ब्रम्ह राक्षस किसी को भी देखते है तो उसे तुरंत मार देते । सलिये मैंने सोचा अगर मरना है तो लड़कर मरा जाए ।"ब्रम्ह राक्षस राजकुमार की बाते सुनकर हँसने लगे और बोले - " जो ब्रम्ह राक्षस 1000 वर्ष ...और पढ़े