सौतेली माँ से माँ बनने का सफर......

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ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है अगर इस कहानी या इसके किसी भी पात्र से आपको भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाती हैं तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ मेरा उद्देश्य आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है ? जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक दूसरी माँ या सौतेली माँ के लिए हमारे मन में क्या छवि होती है लेकिन क्या सभी सौतेली माँए एक जैसी होती है

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 1

ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित अगर इस कहानी या इसके किसी भी पात्र से आपको भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाती हैं तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ मेरा उद्देश्य आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक दूसरी माँ या सौतेली माँ के लिए हमारे मन में क्या छवि होती है लेकिन क्या सभी सौतेली माँए एक जैसी होती है आज एक महीना हो गया था शिवराज जी की पत्नी की मृत्यु को और बेटे के पैदा हुए । अब ...और पढ़े

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 2

आज बुआ जी त्रिवेणी के घर रिश्ता लेकर जाने वाली थी जिसके कारण वो सुबह से ही उसकी तैयारी लगी हुई थी (मुझे रिश्ता ले जाने या आने के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं इसीलिए कोई भी गलती हो तो मुझे क्षमा करें। ) त्रिवेणी के मामा मामी बहुत खुश थे कि उनकी बेटी का विवाह इतने बड़े घर में होने जा रहा है उनकी बेटी अब हमेशा सुखी से रहेगी हालांकि वो ये बात जान कर थोड़े चिंतित भी थे कि शिवराज जी का ये दूसरा विवाह है और एक बेटा भी है लेकिन वो लोग ये ...और पढ़े

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 3

बहुत देर तक भी जब अखंड नहीं चुप हुआ तो सभी लोग परेशान हो गए थोड़ी देर बाद बुआ में कुछ सोचा और फिर अखंड को अपनी गोद में लेकर बाहर आ गई फिर उन्होंने बाहर टहलते हुए ही त्रिवेणी की मामी जी के पास फोन मिला दिया थोड़ी देर तक रिंग जाने बाद के फोन उठा और उसके बाद मामी जी ने घबराते हुए तुरंत ही जल्दी-जल्दी बोलना शुरू कर दिया "नमस्कार बहन जी क्या हुआ आप लोग अभी तक बारात लेकर आए क्यों नहीं क्या हमसे कोई भूल हुई.... तभी बुआ जी ने मामी जी की बातों ...और पढ़े

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 4

बुआ जी के फोन रखने के बाद इधर त्रिवेणी थोड़ी भावुक से हो गई थी आज सच में उसे का एहसास हुआ जब उसकी आवाज सुनने मात्र से ही अखंड का रोना बंद हो गया। त्रिवेणी बहुत खुश थी और इसी खुशी में उसने गोल-गोल घूमना शुरू कर दिया तभी अचानक ही वह किसी से टकरा गई ।जब वह हडबड़ाहट में जल्दी से पीछे हटी तो उसने देखा कि वह जिससे टकराई थी वह कोई और नहीं मामी जी ही थी। जो उसे अपनी अजीब नजरों से देख रही थी, फिर त्रिवेणी ने जल्दी से आगे बढ़ते हुए ही ...और पढ़े

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 5

कुछ वक्त बाद त्रिवेणी अपने ससुराल आ चुकी थी। और बुआ जी ने उसका ग्रह प्रवेश कराया। इसी तरह विवाह के बाद की सभी रस्मे भी पूरी हो गई। और फिर बुआ जी त्रिवेणी को लेकर अपने कमरे में आ गई।फिर उन्होंने कमरे का दरवाजा हल्का सा बंद करने के बाद पीछे मुड़ते हुए कहा कि "आज से इस घर की जिम्मेदारीयाँ तुम्हारी हुई। अब तुम्हें ही इस घर को और घर के लोगों को सम्भलना है। खासकर अखंड को" त्रिवेणी ने भी मुस्कुराते हुए कहा "हाँ जी बुआ जी अब से सब की जिम्मेदारी मेरी है। और मैं ...और पढ़े

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 6

एक महीने बाद एक महीना बीत चुका था त्रिवेणी और शिवराज जी के विवाह को इन महीना में त्रिवेणी अखंड के साथ-साथ उस घर को भी बहुत अच्छे संभाल लिया था। जिसे देखते हुए बुआ जी भी अब अपने घर जा चुकी थी। अब त्रिवेणी और शिवराज जी के रिश्ते में भी अब बहुत ज्यादा बदलाव आ चुका था, उन्होंने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था और अब एक आम पति-पत्नी की तरह प्रेम और सम्मान से रहने लगे हैं। हालांकि शिवराज जी के हृदय में अभी रचना जी की यादें थी जो अब हमेशा ऐसे ही रहने ...और पढ़े

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 7

त्रिवेणी का फोन एक बार फिर बज उठा जब उसने देखा तो उस पर "बुआ जी" फ्लैश हो रहा देख उसके चेहरे पर थोड़ी राहत आ गई और उसने झट से फोन उठा लिया.......... ह......हैलो.....बुआ जी........ बुआ जी वो आप........आप जल्दी ही सिटी हॉस्पिटल आ जाइए।" त्रिवेणी ने फोन उठाते ही एक साँस में थोड़ा कांपते हुए स्वर में कहा। "क्या......ये क्या बोल रहीं हो बहु होश में तो हो..........अस्पताल क्यों आने को कह रहीं हो.......क.....को..... कोई बात है क्या बहु " त्रिवेणी की बात सुनते ही उन्होंने थोड़ी सख्ती से कहा.... लेकिन त्रिवेणी की रोने की आवाज सुन ...और पढ़े

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