90 वर्ष की उम्र पार कर चुकी कावेरी अम्मा अब तक तो एकदम टनकी थीं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से हृदय की धड़कनों में थोड़ी मंदी आ गई थी इसलिए उनका शरीर अब वैसा साथ नहीं निभा पा रहा था जैसा अब तक उसने साथ दिया था। कावेरी अम्मा अपने बेटे प्रतीक की बड़ी ही लाडली माँ थीं। जैसे बच्चे लाडले होते हैं ना बिल्कुल वैसी ही इस बुढ़ापे में वह भी थीं। उनकी बहू नमिता भी उनका बड़ा ख़्याल रखती थी। प्रतीक ऑफिस से आते ही सबसे पहले अपनी अम्मा के कमरे में जाता, उनकी खैर ख़बर लिए बिना उसे चैन कहाँ था फिर हाथ मुँह धोने के बाद उनके पास जाकर उन्हें अपने साथ डाइनिंग टेबल पर लेकर आ जाता। उसके बाद नमिता और वह दोनों साथ बैठकर चाय नाश्ता करते, देर तक बातें करते रहते। सच में कावेरी अम्मा बहुत भाग्यशाली थीं जो उन्हें श्रवण कुमार जैसा बेटा और इतनी प्यारी, सुशील, सर्व गुण संपन्न बहू नमिता के रूप में मिली थी।
Full Novel
वह आखिरी पल - भाग -1
90 वर्ष की उम्र पार कर चुकी कावेरी अम्मा अब तक तो एकदम टनकी थीं। लेकिन पिछले कुछ दिनों हृदय की धड़कनों में थोड़ी मंदी आ गई थी इसलिए उनका शरीर अब वैसा साथ नहीं निभा पा रहा था जैसा अब तक उसने साथ दिया था। कावेरी अम्मा अपने बेटे प्रतीक की बड़ी ही लाडली माँ थीं। जैसे बच्चे लाडले होते हैं ना बिल्कुल वैसी ही इस बुढ़ापे में वह भी थीं। उनकी बहू नमिता भी उनका बड़ा ख़्याल रखती थी। प्रतीक ऑफिस से आते ही सबसे पहले अपनी अम्मा के कमरे में जाता, उनकी खैर ख़बर लिए बिना ...और पढ़े
वह आखिरी पल - भाग -2
एक दिन अचानक प्रतीक के चचेरे भाई विमल का फ़ोन आया। विमल ने प्रतीक को बताते हुए कहा, "प्रतीक तुम्हारी भाभी की बुआ के लड़के को अपने किसी काम से तुम्हारे शहर इटारसी आना है। वह केवल 15 साल का है कहाँ अकेला होटल में रहेगा ... मैं चाहता हूँ कि वह तुम्हारे घर पर ही ठहर जाए। सिर्फ़ दो ही दिन की बात है, तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं ...?" "अरे कैसी बात कर रहे हो भैया आप?" "तो भेज दूँ उसे?" "क्यों नहीं विमल भैया ... यह भी कोई पूछने की बात है। भेज दो उसे, हम ...और पढ़े
वह आखिरी पल - भाग -3
रात को खाने की टेबल पर खाना खाते समय प्रतीक ने रमन से पूछा, "बेटा यहाँ कैसे आना हुआ? काम है?" "अंकल मैं एक स्कूल में एडमिशन की बात करने आया हूँ।" "क्यों तुम्हें हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करना है? अभी तो तुम वहीं तुम्हारे परिवार के साथ रहकर भी पढ़ाई कर सकते हो। बेटा ऐसा मौका जीवन में कम ही होता है, बच्चे एक बार घर से बाहर निकल गए तो फिर वापस मेहमान बन कर ही घर लौटते हैं। यह समय तो परिवार के साथ रहने का है। " रमन ने कोई जवाब नहीं दिया। प्रतीक को ...और पढ़े
वह आखिरी पल - भाग - 4
कावेरी अम्मा की हालत देखकर नमिता दौड़ कर उनके पास आई तो उसने देखा कि वह हांफ रही थीं। के कारण वह बोल सकने की हालत में नहीं थीं। " क्या हुआ अम्मा, कहते हुए नमिता ने उन्हें उठाया और सीने से लगा लिया। कावेरी अम्मा नमिता से इस तरह से चिपक गईं जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ के सीने से लगकर सुकून महसूस करता है। नमिता ने पूछा, "अम्मा आप ठीक तो हैं ना?" कावेरी अम्मा ने हाथ से इशारा किया रुक जाओ, "ज़रा सांस तो लेने दो, फिर बताती हूँ," इतना कहते हुए अम्मा रोने लगीं। ...और पढ़े
वह आखिरी पल - (अंतिम भाग)
इस समय कावेरी अम्मा को ग्लूकोस की बोतल चढ़ रही थी। प्रतीक और नमिता पूरी रात उनके सिरहाने बैठे और उनके आँसू पोछते रहे, भगवान का शुक्रिया अदा करते रहे कि उन्होंने अम्मा को बचा लिया। धीरे-धीरे समय आगे बढ़ा और सूर्य देवता ने पृथ्वी के इस कोने में दस्तक दे दी। सुबह उषा की किरणों के आने के साथ ही प्रतीक के दोनों बच्चे राज और नीता भी अपने शहर आ गए। इस समय वे दोनों बहुत ख़ुश थे। उन्होंने बस से अपना समान उतारा। नीचे आकर इधर-उधर देखा लेकिन आज उन्हें पापा की कार नहीं दिखाई दी। ...और पढ़े