अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री

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एक बड़ी सी कार पुलिस स्टेशन के सामने रुकी और ड्राइवर ने उतरकर अपने मालिक के लिए कार का दरवाजा खोला,सूट बूट पहने हुए कार का मालिक पुलिस स्टेशन के भीतर पहुँचा,जैसे ही वो पुलिस स्टेशन के भीतर घुसा तो इन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले... "आप आ गए मिस्टर सिंघानिया!,हम सब आपका ही इन्तज़ार कर रहे थे" "माँफ कीजिएगा! मेरी फ्लाइट जरा डिले हो गई थी,जैसे ही एयरपोर्ट पर फ्लाइट पहुँची तो मैं सीधा यहाँ चला आया",मिस्टर सिंघानिया बोले.... "जी! मुझे पता है कि आप काम के सिलसिले में लन्दन गए हुए थे,इसमें माँफी माँगने वाली कोई बात नहीं है",इन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले... "जी! क्या आपने कातिल का पता लगा लिया",मिस्टर दिव्यजीत सिंघानिया ने पूछा... "हाँ! हमें लगता है कि वही आपकी पत्नी का कातिल है",इन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले...

Full Novel

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१)

एक बड़ी सी कार पुलिस स्टेशन के सामने रुकी और ड्राइवर ने उतरकर अपने मालिक के लिए कार का खोला,सूट बूट पहने हुए कार का मालिक पुलिस स्टेशन के भीतर पहुँचा,जैसे ही वो पुलिस स्टेशन के भीतर घुसा तो इन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले... "आप आ गए मिस्टर सिंघानिया!,हम सब आपका ही इन्तज़ार कर रहे थे" "माँफ कीजिएगा! मेरी फ्लाइट जरा डिले हो गई थी,जैसे ही एयरपोर्ट पर फ्लाइट पहुँची तो मैं सीधा यहाँ चला आया",मिस्टर सिंघानिया बोले.... "जी! मुझे पता है कि आप काम के सिलसिले में लन्दन गए हुए थे,इसमें माँफी माँगने वाली कोई बात नहीं है",इन्सपेक्टर धरमवीर ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(२)

उधर दिव्यजीत सिंघानिया घर पहुँचे तो उनकी माँ शैलजा सिंघानिया ने उनसे पूछा... "आ गए बेटा! क्या हुआ था स्टेशन में,क्या देविका का कातिल पकड़ा गया?" "नहीं! माँ! वो देविका का कातिल नहीं था,वो तो रघुवीर था जो हमारे यहाँ काम किया करता था",दिव्यजीत सिंघानिया बोले... "तो पुलिस ने उसे किस शक़ पर पकड़ा",शैलजा ने पूछा... "जी! उसके पास देविका का लाँकेट मिला था, जिसमें उसकी और मेरी तस्वीर थी",दिव्यजीत सिंघानिया बोले.... "वो उसके पास कहाँ से आया",शैलजा ने पूछा.... "चुरा लिया होगा उसने",दिव्यजीत ने झूठ बोलते हुए कहा.... "तो तुमने पुलिस से क्या कहा रघुवीर के बारें में",शैलजा ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(३)

तब करन ने सतरूपा से कहा... "अगर हम दोनों बात करने के लिए कहीं बाहर चले तो ज्यादा ठीक "क्यों सेठ! काम के बहाने कहीं चाँस तो नहीं मार रहा है तू,मैं खूब समझती है तुम जैसे मर्दो की चाल,पहले बाहर ले जाकर घुमाते हो,खिलाते पिलाते हो,शाँपिंग कराते हो और फिर इसके बाद तुम लोग अपनी औकात पर उतर आते हो"सतरुपा बोली... "तुम मुझे गलत समझ रही हो सतरूपा! मैं बिलकुल भी ऐसा नहीं हूँ",डिटेक्टिव करन थापर बोला... "सारे मर्द पहले ऐसा ही कहते हैं",सतरुपा बोली.... "मैं एक जासूस हूँ और एक केस के सिलसिले में मुझे तुमसे बात ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(४)

करन थापर सतरुपा के बताए हुए पते पर पहुँच गया,उसने वहाँ जाकर देखा कि वो बस्ती बहुत ही गन्दी सँकरी गलियाँ,यहाँ वहाँ बहती नालियाँ और गाली गलौच करते लोग,सतरुपा की खोली को जाने वाली गली भी बहुत ही सँकरी थी,इसलिए उसने अपनी कार वहीं खड़ी करने में ही समझदारी समझी,फिर वो अपनी कार वहीं खड़ी करके सतरुपा की खोली की ओर बढ़ गया,उसने सतरुपा की खोली के सामने पहुँचकर दरवाजे पर दस्तक दी तो भीतर से आवाज़ आई.... "आती है....अभी आती है मैं" फिर सतरुपा ने दरवाजा खोला,करन ने उसका हुलिया देखा तो वो उसे देखता ही रह गया ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(५)

करन सतरूपा को लेकर इन्सपेक्टर धरमवीर के घर के सामने पहुँचा और फिर दोनों कार से उतरकर घर के के सामने गए,तब सतरुपा ने धरमवीर के घर की नेमप्लेट पढ़ी और वो करन से बोली... "सेठ! ये तो किसी पुलिसवाले का घर लगता है", "तुम्हें कैंसे पता चला कि ये किसी पुलिसवाले का घर है",करन ने पूछा... "माना कि मेरे पास बड़ी बड़ी डिग्रियाँ नहीं हैं,लेकिन थोड़ा बहुत पढ़ी लिखी है मैं,इतना तो पढ़ ही सकती है, तभी तो फोन चला पाती है",सतरुपा बोली... सतरुपा की बात सुनकर करन मुस्कराकर बोला..... "चलो ये तो और भी अच्छा रहा कि ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(६)

मिस्टर सिंघानिया देविका को लेकर अपने घर पहुँचे और उन्होंने अपनी माँ शैलजा को आवाज़ देते हुए कहा.... "माँ...माँ...देखो कौन आया है?" "क्या हुआ बेटा! कौन आया है" ऐसा कहकर शैलजा अपने कमरे से बाहर आते हुए बोली और उसने जैसे ही देविका को वहाँ देखा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया लेकिन फिर भी वो खुद को सम्भालते हुए बोली.... "अरे! देविका बेटी! आ गई तुम! तुम्हें इस घर में देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे इस घर की रौनक लौट आई है,कहाँ थी तुम इतने दिन" और ऐसा कहकर शैलजा ने उसे गले से लगा ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(७)

देविका बनी सतरूपा के ऐसा करने पर दिव्यजीत को कुछ अटपटा सा लगा इसलिए उसने देविका से कहा.... "देवू!तुम कभी भी आलू का पराँठा नहीं खाती थी क्योंकि तुम्हें तो आलू पसंद ही नहीं थे और पुदीने से तुम्हें एलर्जी थी,काली मिर्च के फ्लेवर वाला आमलेट जो कि तुम्हारा आलटाइम फेवरेट था,तुम उसे खाने से इनकार कर रही हो,ऐसा क्यों?" दिव्यजीत की बात सुनकर अब देविका फँस चुकी थी,वो सोचने लगी कि अब क्या कहे और तभी इतने में माली ने डाइनिंग रुम में आकर कहा... "साहब! बाहर इन्सपेक्टर साहब आए हैं,कह रहें कि अगर मेमसाब तैयार हो गईं ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(८)

और फिर नाश्ता पैक करवाने के बाद ,सतरुपा ने अपना पुराना वेष धरा और इसके बाद वो इन्सपेक्टर धरमवीर साथ करन के घर की ओर चल पड़ी, कुछ ही समय के बाद दोनों करन थापर के घर जा पहुँचे, करन का घर ज्यादा बड़ा नहीं था,वो घर करन के माता पिता ने उसको गिफ्ट में दिया था,जब उसके माता पिता साथ साथ रहते थे,लेकिन अब दोनों साथ साथ नहीं रहते,दोनों का डिवोर्स हो चुका है,करन की माँ दिल्ली में रहती है और पिता अमेरिका में,माँ बाप के अलग हो जाने के बाद करन बहुत टूट चुका था, फिर उसकी ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(९)

इन्सपेक्टर धरमवीर कुछ ही देर में सतरुपा को लेकर अपने घर आ गए और फिर सतरुपा से बोले... "सतरुपा! अब जल्दी से मिसे सिंघानिया के गेटअप में आ जाओ,इसके बाद मैं तुम्हें मिस्टर सिंघानिया के घर पर छोड़कर आता हूँ", "मेरा उस नर्क में जाने का जी नहीं कर रहा",सतरुपा बोली... "लेकिन जाना तो पड़ेगा ही सतरुपा! तुम्हारे जरिए ही हम देविका के कातिल को पकड़ सकते हैं", इन्सपेक्टर धरमवीर बोले... "जी! मैं तैयार हो जाती हूँ", और ऐसा कहकर सतरुपा दूसरे कमरें में तैयार होने चली गई तब मिहिका ने इन्सपेक्टर धरमवीर से पूछा... "अब करन भइया की ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१०)

दिव्यजीत और देविका अपने बिस्तर में पहुँचे तो अब देविका बनी सतरुपा की डर के मारे हालत खराब होने फिर भी वो बेड के दूसरी ओर किनारे पर जाकर लेट गई और सोने का नाटक करने लगी,वो जैसे तैसे सिंघानिया से अपना पीछा छुड़ाना चाहती थी और तभी उसे सिंघानिया ने टोकते हुए कहा.... "देवू! तुमने बताया नहीं कि तुम्हें फोन कैंसा लगा"? "जी! अच्छा है",देविका बोली... "तुम पहले की तरह खुश नहीं हुई गिफ्ट पाकर",सिंघानिया बोला... "जी! मैं खुश हूँ",देविका बोली... "अच्छा! मेरे पास आओ,चलो बातें करते हैं",दिव्यजीत देविका से बोला... "जी! मुझे बहुत नींद आ रही है,आज ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(११)

ममता वैसे भी श्याम से नफरत करने लगी थी,लेकिन जिस दिन श्याम ने ममता को मारा था तो उस से ममता के मन में श्याम के प्रति नफरत और भी ज्यादा बढ़ गई और उस नफरत ने बदले का रुप ले लिया, फिर एक दिन ममता उस सेठ के बेटे के साथ घर से भाग गई,ममता के घर से भागने पर पूरे गाँव में उसकी बहुत बदनामी हुई और गाँव के लोग इस बात के लिए श्याम पर उँगली उठाते हुए कहने लगे कि श्याम तो नामर्द निकला जो अपनी बीवी को ठीक से नहीं रख पाया,वो इतनी सुन्दर ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१२)

इन्सपेक्टर धरमवीर के कहने पर हवलदार बंसी यादव देविका को मिस्टर सिंघानिया के घर छोड़ आया, देविका घर पहुँची उसे नौकर ने बताया कि मालकिन घर पर नहीं हैं,बड़े साहब भी अभी आँफिस से नहीं लौटे हैं और छोटे साहब अपने कमरे में हैं क्योंकि कुछ देर पहले उन्होंने अपने कमरे में काँफी मँगवाई थी,तब देविका बनी सतरुपा को लगा कि अब रास्ता बिलकुल साफ है वो चैन से अपने कमरे में जाकर आराम कर सकती है,इसलिए वो कपड़े बदलकर बिस्तर पर आराम करने लेट गई और तभी उसके कमरे के दरवाजे पर रोहन आकर बोला.... "क्या मैं अन्दर ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१३)

रोहन के वहांँ से जाने के बाद शैलजा भी अपने कमरे में चली गई ,फिर सतरुपा ने भी चुपचाप कमरे की खिड़की बंद की और बिस्तर पर आकर लेट गई,लेकिन अब उसकी नींद गायब हो चुकी थी,उस घर में चल क्या रहा था,ये वो समझ ही नहीं पा रही थी,उस घर में कोई साँपनाथ तो कोई नागनाथ था और सबसे बड़ी नागिन तो उसे शैलजा नजर आ रही थी और ये देविका क्या थी,वो भी मँझी हुई खिलाड़ी जान पड़ती है तभी तो रोहन उसके बारें में इतना सब कुछ कह रहा था.... सतरुपा के मन में एक अजीब ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१४)

तब सतरुपा बोली... "ओह...तभी सिंघानिया रात को घर नहीं आया था कह रहा था कि रात को फार्म हाउस ही रुकेगा" "कुछ ना कुछ तो जरूर है उस फार्म हाउस में",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले... " लेकिन क्या हो सकता है उस फार्म हाउस में",सतरुपा बोली... "कुछ तो ऐसा है उस फार्म हाउस में जो दुनिया से छुपाकर रखा जा रहा है",करन बोला... "हाँ! और इसका मतलब है कि रघुवीर और सिंघानिया मिले हुए हैं,कुछ ना कुछ तो खिचड़ी पक रही है दोनों के बीच में",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले... "हाँ! और फार्महाउस की बाउंड्री में करंट क्यों बिछा रखा है उसने,कुछ तो ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१५)

ये उन दिनों की बात है जब दिव्यजीत सिंघानिया और मेरी बहन जिज्ञासा होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहे दोनों की पहली मुलाकात वहीं हुईं थी और फिर दोनों एक दूसरे को पसंद करने,दोनों एक साथ बहुत खुश थे,ये बात कभी कभी हम लोगों को जिज्ञासा बताया करती थी,लेकिन हम दोनों भाई कभी भी दिव्यजीत सिंघानिया से नहीं मिले थे, क्योंकि जिज्ञासा चाहती थी कि जब वो दिव्यजीत से शादी करेगी,तभी वो हम लोगों को दिव्यजीत से मिलवाऐगी... जब तक जिज्ञासा और दिव्यजीत होटल मैंनेजमेंट का कोर्स करते रहे तब तक दोनों के बीच का रिश्ता बहुत अच्छा था,जिज्ञासा ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१६)

शिशिर हैंडसम था तो देविका आसानी से उसके जाल में फँस गई,शिशिर ने बहुत कोशिश की कि उसे देविका जिज्ञासा के बारें में कोई जानकारी मिल सकें,लेकिन ऐसा ना हो सका,मुझे पल पल की खबर शिशिर देता रहता था,लेकिन फिर एक दिन ऐसा हुआ कि मुझे शिशिर के बारें में कोई जानकारी नहीं मिली,उसका फोन भी नहीं लगा तो तब मुझे शक़ हुआ,इसलिए मैं फौरन उस जगह पहुँचा जहाँ शिशिर रहता था,मेरे पास भी उस घर की दूसरी चाबी रहती थी क्योंकि शिशिर ने मुझे वो दूसरी चाबी देते हुए कहा था कि ना जाने कब मुझे उस चाबी ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१७)

इन्सपेक्टर धरमवीर घर पहुँचे और उन्होंने डेटेक्टिव करन थापर को फोन पर शिरिष की कहीं सभी बातें सुना डाली,बातें करन बोला.... "तब तो सतरुपा की जान को भी खतरा हो सकता है", "हाँ! मैं भी वही सोच रहा था",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले.... "तो अब हम लोग ऐसा क्या करें कि वो सही सलामत रहे,क्योंकि मुझे उस सिंघानिया पर बिलकुल भी भरोसा नहीं कि वो कब क्या कर दे",करन बोला.... "हाँ! मैं कुछ सोचता हूँ इस बारें में और कल ही इस समस्या को सुलझाने की कोशिश करता हूँ,अब तुम आराम करो",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले... "ठीक है! गुड नाईट!" और ऐसा कहकर ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१८)

सतरुपा बार मालिक के सवाल से परेशान हो उठी तभी वहाँ पर प्रकाश मेहरा जी आए,जिनकी पार्टी में सतरुपा बनकर आई थी और वे देविका बनी सतरुपा से बोले.... "क्या हुआ मिसेज सिंघानिया! आप इतनी परेशान सी क्यों दिख रहीं हैं"? "जी! कुछ नहीं! मैं मिस्टर सिंघानिया का वेट कर रही थी,ना जाने कहाँ रह गए",देविका बनी सतरुपा बोली... तब बार का मालिक प्रकाश मेहरा जी से बोला... "क्या ये मिसेज सिंघानिया हैं,मैं तो इन्हें कोई और ही समझ रहा था" "भाई! जरा लोगों की औकात देखकर बात किया करो,सिंघानिया मिल्कियत की मालकिन हैं ये और बड़े लोगों से ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१९)

और तभी सतरुपा के दिमाग़ में सिंघानिया के सवाल का जवाब आ गया और वो उससे बोली... "ड्राइवर साहब होने गए हैं,कह रहे थे उन्हें कोई बिमारी है,इसलिए वो ज्यादा देर खुद को रोक नहीं सकते,नहीं तो उनको बहुत दिक्कत हो जाएगी", "ये कैसा ड्राइवर है,अगर इसे इतनी ही दिक्कत है तो घर में क्यों नहीं बैठता,बड़ा आया कैब चलाने वाला",सिंघानिया गुस्से से बोला... फोन स्पीकर पर था इसलिए सभी सिंघानिया की बातें मज़े लेकर सुन रहे थे,तभी सतरूपा ने सिंघानिया से कहा.... "लीजिए! ड्राइवर साहब हलके होकर आ गए,उनसे बात कर लीजिए", "खबरदार! देविका! जो तुमने उस ड्राइवर ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(२०)

शाम ढ़ल चुकी थी और सतरुपा अब सिंघानिया विला पहुँच चुकी थी,वो विला के भीतर घुसी ही थी कि दिव्यजीत सिंघानिया कहीं जाने के लिए तैयार खड़ा था,फिर वो उसके पास आकर बोला.... "तुम आ गई देवू डार्लिंग! कहाँ गईं थीं", "जी! माँल गई थी",देविका बनी सतरुपा बोली.... "लेकिन लगता है शाँपिंग नहीं की तुमने वहाँ,क्योंकि हाथ में तो कुछ भी नहीं है",दिव्यजीत सिंघानिया बोला... "हाँ! कुछ पसंद ही नहीं आया,बस यूँ ही घूमकर वापस चली आई",देविका बनी सतरुपा बोली... "ठीक है कोई बात नहीं,चलो अपने कमरे में जाकर आराम करो,मैं भी थोड़ी देर में निकलूँगा,अगर मैं चला जाऊँ ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(२१)

फार्महाउस की बात सुनकर सतरुपा बहुत डर चुकी थी,लेकिन फिर भी उसने हिम्मत करके दिव्यजीत सिंघानिया से पूछा... "लेकिन में जाकर हम करेगें क्या"? "रोमांस और क्या"दिव्यजीत बोला.... "ये कैंसी बातें कर रहे हैं आप",सतरुपा बोली.... "मैं तुम्हारा पति हूँ और मुझे तुमसे ऐसी ही बातें करनी चाहिए",सिंघानिया मुस्कुराते हुए बोली.... फिर दिव्यजीत देविका बनी सतरुपा से यूँ ही बातें करता रहा, कुछ ही देर में दोनों फार्महाउस पहुँच गए,इसके बाद दिव्यजीत सिंघानिया सतरुपा को फार्महाउस के अन्दर ले गया,फार्महाउस सच में बहुत ही खूबसूरत था,वहाँ की साज सज्जा देखने लायक थी,लकड़ी का आलीशान फर्नीचर उसकी खूबसूरती को और ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(२२)

उधर सतरुपा फार्महाउस में कैद थी और इधर दिव्यजीत सिंघानिया हड़बड़ाया सा अपने विला पहुँचा और उसने अपनी माँ को पुकारते हुए कहा.... "माँ...माँ..." "क्या बात है बेटा तू इतना घबराया हुआ सा क्यों हैं?",शैलजा ने पूछा... "माँ! क्या देविका घर आ गई",दिव्यजीत ने पूछा... "ये क्या कह रहा है तू! वो तो तेरे साथ गई थी तो तेरे साथ ही वापस आऐगी ना!",शैलजा बोली... "नहीं! माँ! वो मेरे साथ वापस नहीं आई",दिव्यजीत बोला... "क्या कहा....वो तेरे साथ वापस नहीं आई तो कहाँ गई",शैलजा बोली... "वही तो नहीं मालूम माँ कि वो कहाँ गई",दिव्यजीत बोला... "तू कहना क्या चाहता ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(२३)

अब सतरुपा ये सोचने लगी कि वो अपनी जान कैंसे बचा सकती है,इसलिए वो इधर उधर अपनी नजरें दौड़ाने कि काश ऐसा कुछ मिल जाएँ,जिससे वो कैंसे भी करके इस फार्महाउस से निकलने में कामयाब हो जाए और तभी उसकी नजर वहाँ रखे कबाड़ पर पड़ी,वहाँ उसे एक लाइटर दिखा जो कि सामान के बीच पड़ा था,लेकिन वो उससे बहुत दूर था,क्योंकि वो कुर्सी जिससे उसे बाँधा गया था,वो स्टोररूम के बिलकुल बीचों बीच रखी थी,सतरुपा को कैंसे भी करके उस कुर्सी को उस लाइटर तक ले जाना था,इसलिए वो अब धीरे धीरे उस कुर्सी को उस पर बैठे ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(२४)

इसके बाद इन्सपेक्टर धरमवीर ने दिव्यजीत सिंघानिया को उसके विला से गिरफ्तार कर लिया, फिर उसे पूछताछ के लिए स्टेशन लाया गया,तब सिंघानिया ने इन्सपेक्टर धरमवीर से पूछा... "मुझे किस जुर्म में गिरफ्तार किया जा रहा है" "आपकी पत्नी देविका सिंघानिया के खून के जुर्म",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले... "ये आपसे किसने कहा कि मैंने उसका खून किया है",दिव्यजीत सिंघानिया ने पूछा.... "अब आप सब कुछ सच सच बता दें तो आपके लिए ठीक रहेगा,क्योंकि मुजरिम के मुँह से सच्चाई कैंसे उगलवानी है ये हमें अच्छी तरह से पता है",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले... "जब मैंने कह दिया कि मैंने उसका खून नहीं ...और पढ़े

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - (अन्तिम भाग)

रघुवीर को डिटेक्टिव करन ने खोजा था,उसे अन्दाजा था कि रघुवीर कहाँ जा सकता है,उसने पुलिस के साथ मिलकर खोज लिया,फिर डिटेक्टिव करन पुलिस के साथ रघुवीर को लेकर पुलिस स्टेशन पहुँचा, इसके बाद रघुवीर को इन्सपेक्टर धरमवीर और सिंघानिया के सामने लाया गया और फिर दोनों से एकसाथ पूछताछ शुरू की गई,इन्सपेक्टर धरमवीर ने रघुवीर से पूछा.... "तो बताओ तुम सतरुपा को क्यों मारना चाह रहे थे", "क्योंकि वो सिंघानिया साहब को धोखा दे रही थी और मुझे धोखेबाज लोगों से बहुत नफरत है",रघुवीर बोला... "मैं तेरे बारें में सब जानता हूँ,मैं तेरे गाँव भी गया था,मुझे पता ...और पढ़े

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