रोमानिया से आने वाली स्पेशल फ्लाइट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर सुबह सुबह लैंड कर चुकी थी। दरअसल हाल ही में दोनों देशों की सरकारो ने अपने अपने देशों की कुछ ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हुई प्राचीन वस्तुओं को एक दूसरे के साथ साझा किए जाने का एक समझौता किया है, जिससे दोनों देश एक दूसरे की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति से वाफिक हो सकेंगे, इसी प्रकार की वस्तुओं की खेप लेकर आई थी यह फ्लाइट। सामान की जांच करने के बाद उनको एक वैन में रखवाकर प्रदर्शन हेतु म्यूज़ियम भेजने की तैयारी की जा रही थी। "गिरीश ,यह ताबूतनुमा बक्सा तो खाली है एकदम,अब इसको कौन देखेगा।" "लोगो को तो बस एंटीक बोल के कुछ भी दिखा दो,बड़े चाव से देखते है" हंसते हुए गिरीश ने महेश को जबाब दिया। "पर गिरीश जब हम इसको बाहर से लेकर आये थे तो काफी भारी था,और अब तो इसका वजन महसूस ही नही हो रहा,ऐसा क्यो?" थोड़ा सा परेशान होते हुए महेश ने कहा। "हा हा, मुर्दा होगा ताबूत के अंदर ,तुम्हारी शक्ल देखकर डर के भाग गया होगा न......तुम भी यार.....फालतू दिमाग लगाते रहते हो.....चलो लंच बॉक्स उठाओ अब कुछ खा लिया जाए।" महेश ने फिर से मजाकिया लहजे में जबाब दिया।

Full Novel

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वैंपायर अटैक - (भाग 1)

रोमानिया से आने वाली स्पेशल फ्लाइट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर सुबह सुबह लैंड कर चुकी थी। हाल ही में दोनों देशों की सरकारो ने अपने अपने देशों की कुछ ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हुई प्राचीन वस्तुओं को एक दूसरे के साथ साझा किए जाने का एक समझौता किया है, जिससे दोनों देश एक दूसरे की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति से वाफिक हो सकेंगे, इसी प्रकार की वस्तुओं की खेप लेकर आई थी यह फ्लाइट। सामान की जांच करने के बाद उनको एक वैन में रखवाकर प्रदर्शन हेतु म्यूज़ियम भेजने की तैयारी की जा रही थी। "गिरीश ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 2)

अगले तीन दिन शहर के लिए खौफ भरे थे....चांदनी चौक से लेकर बसन्त बिहार तक हर इलाके में लोगो निर्ममता के साथ हत्याएं होती चली जा रही थी। पुलिस के साथ इन तीन दिनों में इस वैम्पायर की कई मुठभेड़ हुई पर इसका अंजाम कई पुलिस वालों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। यह खूनी वैम्पायर दिन प्रतिदिन और अधिक शक्तिशाली एवं भयंकर होता चला जा रहा था, डर के मारे लोगो ने घरों से निकलना ही बंद कर दिया था। इंस्पेक्टर हरजीत सिंह के नेतृत्व में अत्याधुनिक हथियारों से लैस एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया, ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 3)

दिल्ली से बहुत दूर उत्तराखंड में हिमालय की ऊंची ऊंची चोटिया...जहाँ दूर दूर तक बर्फ की सफेद चादर फैली रही थी......इंसान का नामोनिशान भी न था.…..सिर्फ कुछ बिना पत्तियो वाले पेड़.....जिनकी टहनियां भी बर्फ से लदी हुई थी.....और मस्ती करते हुए कुछ सफेद बर्फीले भालू। इन्ही पहाड़ियों के बीचों बीच एक लंबी सी सुरंग थी...जिसका द्वार भी बर्फ से दब चुका था..... इस सुरंग में हवा का एक चक्रवात सदियों से पशु पक्षियों के कौतूहल का केंद्र था....क्योकि आमतौर पर इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा बहुत ही निम्न होती है.....पर यह बर्फ़ीली आंधी का चक्रवात एक ही जगह ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 4)

पेट्रो के देहरादून में सक्रिय होने की जानकारी दिल्ली तक पहुंचने में अधिक समय नही लगा। सरकार इस मुद्दे साथ बहुत ही संवेदनशीलता के साथ निपट रही थी....तभी तो सारे देहरादून में तुरन्त ही कर्फ्यू लगाने का आदेश जारी कर दिया गया......सुनसान सड़को पर पुलिस की आवाजाही बढ़ गयी थी.....किसी अनजान खतरे से आशंकित ,डरे सहमे से लोग अपने घरों में कैद थे.... 'ऑपरेशन ड्रैकुला' को अंजाम देने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स भी देहरादून के लिए रवाना कर दी गयी। पर वैम्पायर आम इंसानों से ज्यादा शक्तिशाली तो होते ही है साथ ही कुटिलता में भी वो इंसानों ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 5)

लीसा और विवेक की ओर बढ़ते वैम्पायरो को रोकने के लिए हरजीत सिंह अपने दल समेत खड़े थे.....इस स्पेशल फोर्स की प्राथमिकता थी कि ऐसे सिविलियन जो वैम्पायर बन गए है उन पर जानलेवा हमला न किया जाए......इस बात को ध्यान में रखते हुए इस टीम ने इन वैम्पायरो पर 'स्टॉक पैलेट गन' से हमला किया । स्टॉक पैलेट गन आम पैलेट गन्स से अधिक प्रभावी होती है ...इसके जबरदस्त धक्के से शिकार कई मीटर पीछे गिरता है....पर उसको अधिक नुकसान नही पहुंचता है.....वैम्पायरो की टुकड़ी को भी इसके अटैक ने लीसा और विवेक से दूर फेंक दिया। "लीसा ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 6)

रात भर शहर में अफरातफरी का माहौल रहा.....देहरादून के लिए यह रात बड़ी अराजकता भरी थी.....सुबह होते होते इस से शहर में बड़े स्तर पर तोडफ़ोड़ हो चुकी थी......शॉपिंग मॉल,दुकाने,कई घर,पेड़ ,खम्भे,पार्क,सड़क के किनारे खड़े वाहन.....इन वैम्पायरो ने तहस नहस कर दिए थे ........रात में पुलिस कमजोर पड़ी तो आर्मी को भी उतारा गया....तब जा कर बड़ी मुश्किल में इन वैम्पायर्स को उलझा कर रखा गया जिस से जनहानि बहुत ज्यादा नही हो पाई........सुबह सूरज की किरण पड़ते ही यह सभी वैम्पायर किसी गुप्त ठिकाने पर पहुंच गये थे......शायद पेट्रो उनको निर्देशित कर रहा था.....जो वैम्पायर लीसा ने कैद ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 7)

चारो तरफ से होते लगातार हमलों के बावजूद अंदर से किसी प्रतिक्रिया का न आना टास्क फोर्स को आशंकित रहा था कि कहीं एन वक्त पर इन वैम्पायर्स ने अपना ठिकाना तो नही बदल लिया......क्योकि अगर सच मे ऐसा हुआ तो सारी मेहनत जाया चली जाएगी........पर इन सभी कयासों को तुरन्त ही विराम मिल गया......वैम्पायर्स की प्रतिक्रिया हुई....और ऐसी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई जिसकी उम्मीद भी किसी ने नही की थी...... पहाड़ियों के आसपास मंडरा कर बम बरसा रहे फाइटर प्लेनो की ओर नीचे से एक साथ बहुत सारी भारी भरकम चट्टाने उछाली गयी......अगले ही पल एक साथ चार प्लेन ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 8)

हरजीत सिंह को इस यहां आने से पहले ही पता था कि यह मिशन कितना खतरनाक है....पर उनके पन्द्रह के पुलिस कैरियर में किसी भी प्रकार का ड़र कभी भी उनकी कर्तव्यनिष्ठता को बाधित नही कर सका......और आज भी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करते हुए आज इस हालत में पड़ा था यह बहादुर पुलिस वाला। लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ को डॉक्टरी का कामचलाऊ अनुभव भी था.....क्योकि दो साल उन्होंने आर्मी हॉस्पिटल में भी एक वॉलिंटियर के रूप में सेवाएं दी थी.......उन्होंने बड़ी सावधानी के साथ उस पथरीली तलवार को हरजीत सिंह के शरीर से अलग किया..व अपनी शर्ट को ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 9)

सैकड़ो फ़ीट ऊपर से जमीन की ओर गिर रहे लीसा और विवेक अगर इसी गति से जमीन से टकराते उनकी हड्डियों का कचूमर बन जाना तय था। पर वह पूर्वनियोजित योजना के तहत नीचे कूंदे थे.....इसलिए उनके कंधों से लटक रहे बैग अब खुल चुके थे...और झटके के साथ उन में से निकल कर आये पैराशूट की वजह से वह हवा में लहराने लगे.....कुछ ही देर में वह जमीन पर उतर चुके थे...... उस अद्भुत जाल में कैद पेट्रो बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था.....इस कैद में यकीनन पेट्रो अपनी शक्तियों का अधिक प्रयोग नही कर पा रहा ...और पढ़े

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वैंपायर अटैक - (भाग 10) (अंतिम भाग)

वैम्पायर सम्राट ड्रैकुला के शरीर से अचानक ही वह क्रॉस एक झटके के साथ निकल गया.....क्रॉस निकलते ही उसका धीमे धीमे से जागृत होने लगा.....यह अत्यंत अशुभ घड़ी थी.....ड्रैकुला के कहर से दुनिया सिर्फ दो वजहों से सुरक्षित थी....एक तो उसके सीने में धंसा वह अभिमंत्रित क्रॉस,जिसने ड्रैकुला के शरीर को सदियों से सुप्त अवस्था मे डाल रखा था......और दूसरी वजह थी..…तिलिस्मी चक्रवात की वह कैद जिसने ड्रैकुला के शरीर को अपने अंदर समेट रखा था..... आज ड्रैकुला एक लंबी नींद से उठ चुका था... शैतानी नजरो से उसने सबसे पहले अपने शरीर को निहारा.....सदियों से निष्क्रिय उसका जिस्म ...और पढ़े

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