अदिति और विजय के विवाह को नौ वर्ष पूरे हो चुके थे लेकिन अब तक भी घर में बच्चों की किलकारियाँ नहीं गूँजी थीं। विजय के माता-पिता तो बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि वे कब दादा-दादी बनेंगे। अदिति और विजय ने क्या-क्या नहीं किया। शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया। मंदिरों में जाकर माथा टेका लेकिन भगवान उनकी पुकार सुन ही नहीं रहा था। इसी तरह एक वर्ष और गुजर गया। धीरे-धीरे निराशा उनके जीवन में गृह प्रवेश करने लगी। अड़ोस-पड़ोस के छोटे-छोटे बच्चों को देखकर अदिति का मन भी ललचा जाता। कोई उसे भी माँ

Full Novel

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किलकारी - भाग १

अदिति और विजय के विवाह को नौ वर्ष पूरे हो चुके थे लेकिन अब तक भी घर में बच्चों किलकारियाँ नहीं गूँजी थीं। विजय के माता-पिता तो बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि वे कब दादा-दादी बनेंगे। अदिति और विजय ने क्या-क्या नहीं किया। शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया। मंदिरों में जाकर माथा टेका लेकिन भगवान उनकी पुकार सुन ही नहीं रहा था। इसी तरह एक वर्ष और गुजर गया। धीरे-धीरे निराशा उनके जीवन में गृह प्रवेश करने लगी। अड़ोस-पड़ोस के छोटे-छोटे बच्चों को देखकर अदिति का मन भी ललचा जाता। कोई उसे भी माँ ...और पढ़े

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किलकारी - भाग २

अभी तक आपने पढ़ा अदिति और विजय को विवाह के नौ वर्ष पूरे होने तक भी संतान प्राप्ति नहीं के कारण अदिति उदास रहने लगी थी। उसकी उदासी को देखते हुए विजय ने अनाथाश्रम से बच्चा गोद लेने का मन बना लिया। इस संबंध में जब विजय ने अपने माता पिता से बात की तो उन्होंने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी सहमति दे दी। अपने माता-पिता की सहमति मिलते ही विजय ने कहा, "तो ठीक है मैं कल ही अदिति से भी बात कर लेता हूँ और . . . " विमला ने बीच में ही टोकते ...और पढ़े

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किलकारी- भाग ३

अभी तक आपने पढ़ा अदिति की अनुमति लेकर अनाथाश्रम से बच्चा गोद लेने का विजय के परिवार ने सामूहिक ले लिया और चर्चा इस बात पर शुरू हो गई कि बेटा लें या बेटी। अंततः इसी निर्णय पर सभी की मुहर लग गई कि बेटा लेकर आएँगे। दूसरे दिन सुबह नहा धोकर तैयार होकर अदिति और विजय अनाथाश्रम पहुँच गए। वहाँ का पूरा मुआयना करने के बाद वह बहुत से बच्चों से मिले जो थोड़े बड़े हो चुके थे। अदिति ने विजय से कहा, "विजय मुझे ऐसा बच्चा चाहिए जिसे मैं अपनी गोदी में लिटा सकूँ। बोतल से उसे ...और पढ़े

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किलकारी- भाग ४

अभी तक आपने पढ़ा कि अदिति ने अनाथाश्रम में जैसे ही चार-पाँच दिन के छोटे से बच्चे को देखा विजय से कहा मुझे यही बच्चा चाहिए। अनाथाश्रम ने कुछ दिनों के इंतज़ार के बाद उन्हें बच्चा सौंप दिया। वे दोनों उस बच्चे को लेकर ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर आ गए। इस समय अदिति मातृत्व प्रेम से सराबोर हो रही थी। वह घर पहुँचे तो विमला ने आरती की थाली लेकर उस बच्चे और अदिति का स्वागत किया। आरती उतारकर वह उन्हें अंदर लेकर आई। सब बच्चे को अपनी- अपनी गोद में ले रहे थे। घर पर उसकी ज़रूरत का सारा ...और पढ़े

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किलकारी - भाग ५

अभी तक आपने पढ़ा अनाथाश्रम से पारस को लाने के एक वर्ष के अंदर ही अदिति प्रेगनेंट हो गई। में सभी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। जिसकी उम्मीद वे छोड़ चुके थे वह तोहफ़ा पारस के नन्हे कदम घर में पड़ते ही उन्हें मिल गया। अब तो अदिति की देखरेख में पूरे समय विमला लगी ही रहती। उसके खाने-पीने से लेकर दवा तक हर चीज का ख़्याल वही रखती, बिल्कुल अपनी बेटी की तरह। अदिति पूरे नौ माह तक स्वस्थ रही। किसी तरह की कोई परेशानी के साथ टकराव नहीं हुआ और यह नौ माह का समय भी ...और पढ़े

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किलकारी - भाग ६  

अभी तक आपने पढ़ा पारस के कंप्यूटर इंजीनियर बनते ही उसे एक अमेरिकन कंपनी में नौकरी मिल गई। उसके जाने की तैयारियाँ चल रही थीं। पारस अपने कुछ सर्टिफिकेट्स ढूँढ रहा था। तभी उसे एक फाइल मिली जिसमें उसे अनाथाश्रम से गोद लेने के काग़ज़ मिल गए। वह नम आँखों के साथ उन काग़ज़ों को वहीं रखकर अपने कमरे में वापस आ गया। अपने कमरे में वापस आकर पारस चुपचाप बिस्तर पर लेट गया। जब से उसने होश संभाला तब से लेकर अब तक के ना जाने कितने ही पल उसकी आँखों में दृष्टिगोचर हो रहे थे। इतना प्यार, ...और पढ़े

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किलकारी - भाग ७

अभी तक आपने पढ़ा अनाथाश्रम से गोद लेने के काग़ज़ मिलने के बाद पारस बहुत बेचैन था। उस पर अंकल के हार्ट अटैक से वह बहुत घबरा गया। उसके जाने के बाद मम्मी पापा जी का ख़्याल कौन रखेगा यह सोच कर उसने अमेरिका जाने का इरादा ही त्याग दिया। पारस की इस तरह की बातें सुनकर विजय ने कहा, "अच्छा होम सिकनेस के शिकार हो रहे हो तुम? जाओ बेटा, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।" "वहाँ तो सब ठीक हो जाएगा पापा जी लेकिन यहाँ? आप और माँ अकेले हो जाओगे। देखो कल रात ही राकेश अंकल . ...और पढ़े

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किलकारी - अंतिम भाग

अभी तक आपने पढ़ा विजय के लाख समझाने के बाद भी पारस ने अपना फ़ैसला नहीं बदला। उसके इस और बातें सुनकर अब विमला, अदिति और छोटी बहुत ख़ुश थे। अदिति ने कहा, "तुम सच कह रहे हो विजय। पारस हमारी जान है और हम पारस की जान। सच कहूँ तो उसके जाने की तैयारियाँ करते वक़्त भी मन के भीतर एक चुभन-सी हो रही थी, बेचैनी हो रही थी, एक दर्द दिल में हो रहा था। ऐसा महसूस हो रहा था, हम अकेले हो जाएँगे। यह बात सता भी रही थी कि पवित्रा की शादी हो जाएगी तो ...और पढ़े

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