एक रिश्ता ऐसा भी

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स्कूल प्रांगण में प्रवेश करने का एक मात्र यही रास्ता था । पिछली रात हुई जोरदार बारिश की वजह से पूरा रास्ता टूट चुका था । रास्ते पर पानी भर जाने की वजह से सभी को इस रास्ते से अन्दर जाने में परेशानी हो रही थी । बच्चो को छोड़ने आए पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से सम्हलकर अन्दर दाखिल हो रहे थे । ऐसे में उस युवती की एक्टिवा उसी रास्ते पर बन्द पड़ गई । अन्दर आने और बाहर निकलने वाले लोगों ने हार्न बजा बजाकर उसे परेशान कर दिया । काफी प्रयास करने के बाद भी जब उसकी एक्टिवा चालू नही हुई तो वह परेशान हो उठी । परेशानी के साथ साथ लोगों की बढ़ती भीड़ देखकर उसकी घबराहट भी बढ़ती जा रही थी । अंततः हारकर एक्टिवा से उतरकर वह उसे धक्का देकर एक साइड ले जाने का प्रयत्न करने लगी । तभी पीछे से वह युवक आया और पीछे की ओर से उसकी एक्टिवा को धक्का देने लगा । उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक क्षण के लिए उसके आगे बढ़ते कदम वहीं थम गए । तभी लोगों की आवाजे और हार्न का लगातार बढ़ता शोर सुनकर उसने जोर लगाकर अपनी एक्टिवा साइड पर खड़ी कर दी ।

Full Novel

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एक रिश्ता ऐसा भी (भाग १)

एक रिश्ता ऐसा भी (भाग १) स्कूल प्रांगण में प्रवेश करने का एक मात्र यही रास्ता था । पिछली हुई जोरदार बारिश की वजह से पूरा रास्ता टूट चुका था । रास्ते पर पानी भर जाने की वजह से सभी को इस रास्ते से अन्दर जाने में परेशानी हो रही थी । बच्चो को छोड़ने आए पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से सम्हलकर अन्दर दाखिल हो रहे थे । ऐसे में उस युवती की एक्टिवा उसी रास्ते पर बन्द पड़ गई । अन्दर आने और बाहर निकलने वाले लोगों ने हार्न बजा बजाकर उसे परेशान कर दिया । काफी प्रयास करने ...और पढ़े

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एक रिश्ता ऐसा भी (भाग २)

एक रिश्ता ऐसा भी (भाग २) मयंक, जानती हूं पत्र पढ़कर तुम्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा । वैसे पिछले पत्र का भी तुमने कोई जवाब नहीं दिया तो नाराज तो तुम अब भी हो मुझसे । मुझसे तुम्हारी यह नाराजगी शायद अब जीवन पर्यन्त बनी रहेगी । मैं अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध ऐसा कदम कोई कदम नहीं उठा सकती जिससे उन्हें शर्मिन्दा होना पड़े । अगले महीने मेरी सगाई होने वाली है और दीवाली के बाद शादी भी हो जाएगी । तुम्हारा प्यार कभी भी भुला नहीं पाऊंगी पर सामाजिक बन्धनों के चलते तुम्हें स्वीकार न ...और पढ़े

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एक रिश्ता ऐसा भी - (भाग ३)

एक रिश्ता ऐसा भी (भाग ३) ऑफिस के अलावा दोनों का बाहर मिलना कम ही हो पाता था । रोज ठीक ६ बजे ऑफिस से निकल जाती पर मयंक अकाउन्ट डिपार्टमेन्ट में होने से अक्सर देर से ही निकल पाता । लंच टाइम में दोनों कभी कभी बाहर निकल जाते और अपने प्यार की नींव पर सजाएं जाने वाले भविष्य की बातें किया करते । उस दिन वे दोनों लंच लेकर उस रेस्टारेन्ट से बाहर निकल रहे थे तभी किसी काम से उस ओर आए उत्तरा के भाई की नजर उन दोनों पर पड़ी । किसी भी भाई के ...और पढ़े

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एक रिश्ता ऐसा भी - (भाग ४)

एक रिश्ता ऐसा भी (भाग ४) अगले दिन नलिनी की तबियत ज्यादा खराब होने से अपने बेटे को स्कूल आने के बाद वह उसे लेकर पास के ही एक प्राइवेट अस्पताल में चैकअप के लिए ले गया । संजोग बार बार उसके अतीत को उसके सामने लाकर खड़ा कर दे रहे थे । यहां रिशेप्सन डेस्क पर उत्तरा को पाकर वह ठिठक गया । वह समझ नहीं पा रहा था कि पिछले ८ वर्षों से इसी शहर में रहने के बावजूद कभी भी उत्तरा से उसकी मुलाकात नहीं हुई और अब अचानक ऐसा क्या हो गया जो उत्तरा बार ...और पढ़े

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एक रिश्ता ऐसा भी - (अंतिम भाग)

एक रिश्ता ऐसा भी (अंतिम भाग) उत्तरा के बारें में जानकर मयंक और भी व्यथित हो गया । जिस अतीत को पीछे छोड़ अपने जीने की एक अलग ही वजह बना ली थी आज वही अतीत उसके वर्तमान के सामने आकर उसे उलझा रहा था । वह उत्तरा की हर संभव मदद करना चाहता था । अब आये दिन नलिनी से अतिशय प्यार जताकर मयंक ही धैर्य को स्कूल छोड़ने जाने लगा । इसी बहाने वह उत्तरा से दो घड़ी बातें करने का मौका ढ़ूढ़ लेता । नलिनी मयंक के स्वभाव अचानक आये परिवर्तन को देखकर खुश थी । ...और पढ़े

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